जयपुर.राजधानी जयपुर में आरएएस अधिकारी की बहन की हत्या के मामले ने प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन की परेशानी बढ़ा दी है. अब यह मामला सियासी सुर्खियों में आ गया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के बाद अब प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने भी इस मामले में प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. राठौड़ ने कहा, पुलिस महानिदेशक जब अपने विभाग की उपलब्धियां गिना रहे थे, तब जयपुर में बेखौफ अपराधी पुलिस की कार्यशैली को की आइना दिखा रहे थे.
राजेंद्र राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि आज राजस्थान में जंगलराज कायम है. क्योंकि, अधिकारी बेखौफ है और जनता का पुलिस और सरकार से इकबाल खत्म हो चुका है. राठौड़ ने कहा कि राजधानी जयपुर में बैखौफ बदमाशों ने आरएएस अधिकारी की बहन की हत्या कर दी, जो प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था का प्रत्यक्ष प्रमाण है और पुलिस महकमे को उनकी तथाकथित उपलब्धियों का आईना दिखा रही है.
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राठौड़ ने कहा कि जयपुर में रात्रिकालीन कर्फ्यू के दौरान पुलिस की गश्त आम दिनों की तुलना में ज्यादा सख्त होती है. इसके बावजूद बेखौफ बदमाशों का घर में घुसकर आरएएस अधिकारी की बहन को बंधक बनाकर मारपीट करना और बाद में इलाज के दौरान मृत्यु होना पुलिस की गश्त प्रणाली पर सवालिया निशान है. जिससे तथाकथित पुख्ता कानून व्यवस्था की कलई खोल खुल चुकी है. पुलिसिया तंत्र की नाकामी की वजह से आमजन दहशतगर्दी के माहौल में जीने को मजबूर है.
राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2020 में नवंबर माह तक दर्ज हुए 179557 मामलों में से कुल 57160 मामलों को पुलिस ने अपनी जांच में गलत करार देते हुए एफआर लगाकर इतिश्री करके जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का काम किया है. प्रदेश में नवंबर माह तक महिला अत्याचार के 32106 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें सिर्फ 12767 मामलों में ही पुलिस ने चालान पेश किया है. वहीं, 8488 मामलाें पर पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और जांच में 10851 मामलों को गलत बताते हुए महिला अत्याचार के करीब 46 % मामलों में एफआर लगाकर केस बंद कर दिये गए हैं. महिला उत्पीडन, दहेज प्रताड़ना के दर्ज 12926 मामलाें में से 4147 को गलत बताया है. जबकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के प्रति दुष्कर्म से संबंधित अपराधों में देशभर में राजस्थान का पहला और दलित अत्याचार में दूसरा स्थान है.
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राठौड़ ने कहा कि अनुसूचित जाति पर अत्याचार संबंधी मामलाें में पुलिस ने करीब 50 प्रतिशत मामलों में एफआर लगाई है. 2020 में नवंबर माह तक प्रदेश में अनुसूचित जाति पर अत्याचार के 6545 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें पुलिस ने 2295 मामलों में एफआर लगा दी है और 1919 मामलों पर पुलिस अनुसंधान की बात कह रही है. वहीं, अनुसूचित जनजाति के 1755 मामले दर्ज हुए हैं. जिनमें से 643 मामलाें को ही पुलिस ने प्रमाणित माना है और 577 मामलों में एफआर लगा दी है. वहीं, 535 मामलों में पुलिस किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है.
राठौड़ ने कहा कि उपरोक्त आंकड़ों से सिद्ध होता है कि पुलिस प्रशासन जानबूझकर गंभीर श्रेणी के ज्यादातर मामलों में एफआर लगाकर केस बंद करने का कुत्सित प्रयास कर रहा है, ताकि थानों में दर्ज मामलों की संख्या में अप्रत्यक्ष रूप से कमी लाई जा सके और मीडिया व आमजन के समक्ष पुलिस महकमा अपना बेहतर रिपोर्ट कार्ड पेश कर सके. राठौड़ ने राज्य सरकार से राजधानी जयपुर में बेखौफ बदमाशों द्वारा आरएएस अधिकारी की बहन को बंधक बनाकर निर्मम हत्या करने के दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की है.