जयपुर.प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने बजट में बिजली कृषि कनेक्शन को लेकर किए गए एलान की याद दिलाई है (Rajendra Rathore On Krishi Connection). इस एलान को पूरा करने के लिए ऊर्जा विभाग की कोशिशों और बढ़ी लागत की ओर भी ध्यान खींचा है. राठौड़ ने कहा है कि 1.04 लाख बिजली कृषि कनेक्शन देने के टर्नकी प्रोजेक्ट में 1600 करोड़ का ऐसा गड़बड़झाला किया जा रहा है जिसकी वजह से अब 2300 करोड़ का काम 3900 करोड़ रुपये में होगा. जिसका भार प्रदेश के करोड़ों विद्युत उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा.
समझाया गणित: राठौड़ ने सोमवार शाम एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम ने मुख्यमंत्री की बजट घोषणा को पूरी करने के लिए 22 अप्रैल को 2300 करोड़ रुपये टेंडर निकाला था. टेंडर चहेती कंपनी को ही मिले. इसके लिए निविदा की शर्तों में 6 मई, 9 मई, 16 मई, 25 मई, 31 मई और 8 जून यानी कुल 6 बार मनमाने तरीके से संशोधन किया गया. इस संशोधन के कारण ज्वाइंट वेंचर और दूसरे राज्यों की कई बड़ी कंपनियां बाहर हो गईं. हर टेंडर में अधिकारियों की चहेती सिर्फ एक दो कंपनियां ही शामिल हो सकीं. फिर मनमर्जी करते हुए निविदा में 82 फीसदी ज्यादा रेट लगाया गया और अधिकारी भी इन्ही कंपनियों को वर्कऑर्डर देने के लिए आमादा हैं.
चहेती कम्पनियों को फायदा:राठौड़ ने अपने बयान में कहा कि टर्नकी प्रोजेक्ट के जरिए सरकारी अधिकारियों ने टेंडर करने के साथ ही अपनी खास और चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए नियम कायदे बदलने का खेल शुरू कर दिया है. इसके लिए सबसे पहले ज्वाइंट वेंचर की दोनों कंपनियों में से किसी एक के पास भी 50 प्रतिशत काम करने का अनुभव की शर्त रखी गई थी, जिसके बदलने से करीब 50 कंपनियां टेंडर से स्वतः ही बाहर हो गईं. इसके साथ ही दोनों पार्टनर का इलेक्ट्रिकल लाइसेंस अनिवार्य करने और टर्नकी में मेटेरियल संग मजदूर ठेकेदार द्वारा ही लाने जैसे टेंडर के नियमों में संशोधन/घपला करने से कई कंपनियां टेंडर में शामिल नहीं हो सकीं.