जयपुर.प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एक वक्तव्य जारी कर राज्य के मुख्यमंत्री पर चुने हुए विधायकों में दहशतगर्दी का वातावरण बनाने और पुलिस एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
राठौड़ ने कहा कि बौखलाए हुए मुख्यमंत्री अपनी ही पार्टी के 7 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट के विरुद्ध निकम्मा और नकारा जैसे असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल और प्रतिपक्ष के नेताओं के लिए बेशर्म और तिकड़मबाज जैसे असंसदीय शब्दों का प्रयोग कर मुख्यमंत्री पद की गरिमा को गिराने का काम किया है. उन्होंने कहा कि चुने हुए जन प्रतिनिधियों जैसे विधायक, सांसद के विरुद्ध पुलिस में किसी भी प्रकरण के दर्ज होने पर गृह विभाग की ओर से जारी परिपत्र संख्या 7778-7827 दिनांक 23.04.2015 के अनुसार सीआईडी-सीबी की ओर से ही जांच किए जाने के स्पष्ट प्रावधान है. इसके बावजूद एसओजी और एसीबी से अनुसंधान कराए जाने के तथ्य से ये साबित है कि चुनिंदा पुलिस अधिकारियों के जरिए विधि विरुद्ध अनुसंधान कराकर निशाने पर लिए गए विधायकों का चरित्र हनन किया जाए और उन्हें हैरान परेशान कर जबरन गिरफ्तार किया जाए.
बीटीपी के विधायकों के साथ पुलिस की ओर से किया गया दुर्व्यवहार जो सार्वजनिक हुआ है इसका ताजा नमूना है. राठौड़ ने ये भी कहा कि राजनैतिक आदेशों के बावजूद पुलिस अधिकारियों का ये कर्तव्य है कि वे विधि विरुद्ध आदेशों की पालना नहीं करें. राठौड़ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ये अपेक्षित था कि एफआईआर के पठन मात्र से धारा 124-ए आईपीसी जैसे जघन्य अपराध का एक भी अवयव प्रकट नहीं होने के बावजूद जिस प्रकार से अलग-अलग तीन प्रकरण दर्ज किए गए हैं, वे विधि के निर्देशों के उल्लंघन में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी The State of Maharashtra, AIR 2018 SC 4067में ये निर्देशित किया है कि उच्च अधिकारियों के आदेशों की वैधानिकता भी जांचकर्ता अधिकारी को विधि अनुसार परीक्षित (Examine) करनी आवश्यक है.