जयपुर. कांग्रेस के उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में टिकट चयन में उम्र को लेकर हुए निर्णय पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के बयान पर सियासत गरमा गई (Rathore Targets Congress) है. धारीवाल ने कोटा में कांग्रेस की कार्यशाला में कहा था कि आलाकमान का फैसला है तो मानना ही पड़ेगा लेकिन वो फैसला तो कर लेते हैं पर उस पर कायम नहीं (Dhariwal Remark On BD Kalla) रहते. अब धारीवाल के इसी बयान पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने चुटकी ली है.
राठौड़ का ट्वीट:रविवार को राठौड़ ने एक ट्वीट (Rajendra Rathore tweets On Congress) कर लिखा की मेरे मित्र यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल जी के साहस को सलाम करता हूं, जिन्होंने शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के बहाने कांग्रेस हाईकमान को खरी-खोटी सुनाई. राठौड़ ने लिखा कि मंत्रिमंडल में अंतर्विरोध चरम पर है और अब मंत्रियों को पुलिस के कड़े बंदोबस्त के बीच हेलमेट पहन कर जाना चाहिए क्योंकि न जाने कब क्या हो जाए.
क्या है पूरा मामला?:दरअसल, शनिवार को कोटा शहर में जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से एक कार्यशाला आयोजित की गई थी. इसका उद्देश्य उदयपुर नव संकल्प शिविर में लिए गए फैसलों पर चर्चा था. तभी मंत्री शांति धारीवाल ने अपनी ही पार्टी के उम्र की समय सीमा वाले फॉर्मुले पर सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि फैसले करने वाले ही उस पर कायम नहीं रहे तो फिर वो हमसे क्या उम्मीद करें? धारीवाल ने ये कल्ला का उदाहरण दे कहा था- पहले नियम बने थे कि दो बार हारे हुए विधायक प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलेगा लेकिन जब बीकानेर की बात आई तो 2 बार हारे बीडी कल्ला को टिकट दे दिया गया. धारीवाल के इसी बोल पर राठौड़ ने चुटकी ली. उनके मुताबिक कांग्रेस के भीतर चल रहे अंतर्द्वंद की ये एक कहानी भर है. इससे पहले भी राज्यसभा चुनावों के बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में धारीवाल और कल्ला आपस में भिड़ गए थे.
पढ़ें-Rajysabha Election: शोभारानी कुशवाहा मामले में बोले राठौड़, यह भाजपा का आंतरिक मामला...उचित प्लेटफार्म पर रखेंगे बात
अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रस्ताव संघवाद को करेगा कमजोर: गहलोत मंत्री परिषद में केंद्र की अग्निपथ योजना के विरोध में प्रस्ताव पारित करने के मामले में भी राजेंद्र राठौड़ ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. राठौड़ ने इसे संघवाद को कमजोर करने का प्रयास बताया और यह भी लिखा किस सेना केंद्रीय सूची का विषय है जिस पर किसी भी प्रकार का निर्णय लेने का अधिकार केंद्र को है ना कि राज्य को. राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से यह भी सवाल किया कि वो बताएं की बेरोजगारी भत्ता देने में सरकारी कार्यालयों में इंटर्नशिप की मनमानी शर्तें थोपने के बाद 1 वर्ष में 2 लाख युवाओं की संख्या घटकर महज 53 हजार कैसे रह गई और उसका दोषी कौन है?