जयपुर.फोन टैपिंग मामले को राजस्थान विधानसभा में लगे एक प्रश्न के जवाब में स्वीकार करने पर अब भाजपा नेताओं के निशाने पर प्रदेश की गहलोत सरकार है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में ट्वीट कर प्रदेश की गहलोत सरकार पर जुबानी हमला बोला है.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक पुराना वीडियो पोस्ट कर कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सदन में कह रहे हैं कि राजस्थान में MLA/MP के फोन टैपिंग करने की परंपरा नहीं रही और ना ही ऐसा किया गया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यह बताएं कि जब फोन टैपिंग हुआ ही नहीं था तो विधानसभा में प्रश्न के जवाब में फोन टैपिंग की बात क्यों स्वीकार की गई?
राठौड़ ने कहा कि संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर, अनैतिक और अनुचित रूप से अपनी ही पार्टी के लोगों के साथ विपक्षी नेताओं के फोन टैपिंग करने वाली सरकार के मुखिया यह बताएं कि लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश किसने रची थी और इस मामले पर सदन में झूठ बोलकर गुमराह क्यों किया गया था.
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राठौड़ ने कहा कि फोन टैपिंग मामले की कलई खुल चुकी है और सच सबके सामने आ गया है. संवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने को लेकर केंद्र सरकार को बार-बार आरोपित करने वाले मुख्यमंत्री अब फोन टैपिंग के मुद्दे पर अपनी ही सरकार की सच्चाई सामने आने पर मौन क्यों धारण किए हुए हैं?
कांग्रेस की बेचारगी पर मुझे खेद होता है: शेखावत
गजेंद्र सिंह शेखावत का ट्वीट वहीं, फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर जुबानी हमला बोला है. शेखावत ने अपने ट्वीट में लिखा है कि कांग्रेस की बेचारगी पर मुझे खेद होता है. अपनी ही पार्टी के युवा नेता सहित विधायकों को फोन टैपिंग के जाल में फंसाया, लेकिन अपमान की ऐसी पराकाष्ठा कांग्रेस की परंपरा रही है. शेखावत ने लिखा कि राजस्थान वासी उस सरकार पर कैसे विश्वास करें जिन्हें अपने विधायकों पर ही विश्वास नहीं है.
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अपने युवा नेता और विधायकों को टैपिंग के जाल में फंसाया
शेखावत ने लिखा कि सीएम गहलोत के दामन में अनगिनत दाग हैं, पर ये दाग इतना गहरा है कि इससे न केवल सरकार का बल्कि प्रशासन का भी चेहरा स्याह दिख रहा है. सीएम गहलोत फोन टैप मामले पर तब संत बने हुए थे, आज उन्हें जवाब देना होगा. मैं उनसे सवाल कर रहा हूं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी की अंदरुनी लड़ाई को प्रशासनिक बना दिया. जनहित के लिए नियुक्त प्रशासनिक अधिकारियों को कांग्रेसी हित में लगा देना, लोकतंत्र की हत्या है.