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वापस घर जाकर भी क्या करते साहब...चरवाहों ने कुछ यूं सुनाई लॉकडाउन में संघर्ष की कहानी

हर बार की तरह इस बार भी दिसंबर माह में राजस्थान से प्रदेश आए चरवाहों के हालात इस बार पहले की तरह नहीं रहे. लॉकडाउन में जहां मजदूर सिर्फ अपने घर पहुंचने के लिए निकल तो वहीं ये चरवाहे जहां थे, वहीं रुके हैं और लॉकडाउन से डटकर मुकाबला कर रहे हैं. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश की टीम इनका हाल जानने के लिए चरवाहों के डेरे पर पहुंची. इस दौरान चरवाहों ने अपनी लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में डटकर खड़े रहने की कहानी सुनाई.

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Published : May 30, 2020, 8:49 PM IST

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चरवाहों ने कुछ यूं सुनाई लॉकडाउन में संघर्ष की कहानी

धार/जयपुर.राजस्थान से अपने भेड़ और ऊंट लेकर मध्यप्रदेश आने वाले चरवाहों ने भी इस लॉकडाउन का सामना किया. कोरोना महामारी से किसान परेशान हुए तो वहीं उनके साथ व्यापार कर कुछ समय मध्यप्रदेश में काटने वाले चरवाहों को भी रोजी-रोटी के लाले पड़ गए. प्याज की साग और रोटियां खाकर, जैसे इन्होंने मुश्किलों के दिन काटे हैं. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश की टीम इनका हाल जानने के लिए चरवाहों के डेरे पर पहुंची. इस दौरान चरवाहों ने अपनी लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में डटकर खड़े रहने की कहानी सुनाई.

रोजी-रोटी का संकट झेल रहे चरवाहे

वापस घर जाकर भी क्या करते साहब, इसलिए जैसे-तैसे काट रहे हैं लॉकडाउन के दिन. यह कहना है राजस्थान के पाली जिले से मध्यप्रदेश में अपनी भेड़ और ऊंट चराने निकले राजस्थान के चरवाहों का राजस्थान से बड़ी संख्या में प्रतिवर्ष नवंबर-दिसंबर माह में भेड़, बकरी और ऊंट चराने के लिए परिवार सहित राजस्थान के चरवाहे मध्यप्रदेश के साथ अन्य प्रदेशों की ओर अपने कदम बढ़ाते हैं, और बारिश के मौसम के पहले यह अपने राज्य लौट जाते हैं, इस दौरान यह लोग मध्यप्रदेश के साथ अन्य प्रदेशों में किसानों को खेतों में अपने भेड़, बकरी, ऊंट चरा कर और भेड़, बकरी के मेमने बेचकर रोजी-रोटी का बंदोबस्त करते हैं, और दिसंबर से जून जुलाई तक का समय काटते हैं.

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कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इस बार राजस्थान के चरवाहों की आमदनी पर भी संकट गहरा गया. लॉकडाउन के चलते इन चरवाहों को कई ग्रामीणों ने कोरोना वायरस के डर से गांव में आने नहीं दिया और इनसे भेड़ के मेमने भी नहीं खरीदे, जिससे इनकी आमदनी भी नहीं हो पाई, अब ये कई दिनों से जहां है वहीं रुके हैं और मुश्किलों के बीच छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेतों में रहकर लॉकडाउन का समय काट रहे हैं.

राजस्थान के चरवाहों की आमदनी पर भी संकट गहराया

चरवाहों के दल की एक महिला लीला ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते उनको कई गांव में जाने नहीं दिया जा रहा है, उनसे भेड़ के मेमने भी कोई भी नहीं खरीद रहा है, वहीं बहुत कम किसान खेत में भेड़, ऊंट चरवाने के लिये बुला रहे हैं, जिससे इस बार कुछ भी आमदनी नही हुई, आमदनी नही होने के खाने के लिये दाना-पानी, सब्जियां नहीं खरीद पा रहे है, कई दिनों से वह केवल प्याज और उसकी सब्जी बना कर ही रोटी के साथ खाकर अपना ओर अपने बच्चो का पेट भर रहे हैं.

लॉकडाउन से डटकर मुकाबला कर रहे हैं

लॉकडाउन की वजह से रोजी-रोटी का संकट झेल रहे चरवाहों को मध्यप्रदेश की सरकार की ओर से मिलने वाली अनाज की मदद भी नहीं मिल पाई, जिसके चलते यह भरपेट खाना भी नहीं खा पा रहे हैं. देदला के पंचायत सचिव और देदला ग्राम कि उचित मूल्य की दुकान के सेल्समेन एक दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी थोप रहे हैं, जिसके चलते चरवाहों को अनाज नहीं मिल पा रहा है, खैर जो भी हो लॉकडाउन की वजह से राजस्थान के चरवाहों कि मध्यप्रदेश में इस बार आमदनी नहीं हुई और वह कई परेशानियों से जूझ रहे हैं.

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