जयपुर/अयोध्या. अयोध्या में राम मंदिर का मार्ग एक न एक दिन जरूर प्रशस्त होगा. शायद ऐसा ही कुछ सोचकर 28 साल पहले साल 1992 में श्री राम जन्म न्यास ने मंदिर निर्माण कार्यशाला की स्थापना की होगी. राजस्थान से तमाम पत्थर यहां पर भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए लाकर रखे गए थे.
राम मंदिर निर्माण में राजस्थानी पत्थर का हो रहा इस्तेमाल पत्थरों को आकार देने के लिए कारीगर भी जुट गए, लेकिन राम भक्तों की अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर बनने की अवधि बढ़ती ही जा रही थी, जिससे भक्त मायूस भी हो रहे थे. उनके दिल भी पत्थर की मानिंद होते जा रहे थे, लेकिन भगवान को अपने भक्तों की भक्ति पर जरा भी संदेह नहीं था. सही समय आने पर अब भगवान श्रीराम ने अपनी लीला दिखाई है और अयोध्या की मंदिर निर्माण कार्यशाला में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर बनने के लिए रखे पत्थर अब जल्द नया आकार लेने लगेंगे.
राम मंदिर निर्माण में राजस्थानी पत्थर का हो रहा इस्तेमाल अयोध्या में रामलला का मंदिर बनने के लिए अयोध्यावासियों ने तो इंतजार किया ही. वहीं पूरा देश भी चाह रहा था कि अयोध्या में जल्द भव्य राम मंदिर का निर्माण हो. भक्तों की तरह ही शायद राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखे इन पत्थरों को भी आकार लेने के लिए दशकों का इंतजार करना पड़ा है. कार्यशाला में लगभग एक लाख घन फुट पत्थर रखे हुए हैं. इन पर काई सी जम गई थी, लेकिन अब इन्हें चमकाने का काम तेजी से किया जाएगा. दिल्ली की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी पत्थरों को चमकाने का काम करेगी. पत्थरों को चमकाने के लिए 23 तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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यहां पर रखे पत्थर मंदिर के भूतल के हैं. अब तक सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, कोली गर्भग्रह, स्तम्भ बीम और छत के पत्थर तराशे से जा चुके हैं. जल्द ही मंदिर के प्रथम तल के पत्थरों को तराशने का काम भी शुरू हो जाएगा. इसके अलावा अब तीन मंजिल तक का मंदिर बनना है. लिहाजा, अन्य पत्थरों के आने का भी सिलसिला शुरू होगा. बता दें कि 11 मई को राम जन्मभूमि परिसर में भूमि को समतल करने का काम प्रारंभ हुआ था. यहां पर देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां पुष्प कलश और नक्काशीदार खंभों के अवशेष मिले थे. निर्माण कार्यशाला में रखे तमाम पत्थर को कारीगरों ने चमका दिए हैं, लेकिन अभी ऐसे काफी संख्या में पत्थर रखे हुए हैं जिन पर काई जमी हुई है.
राम मंदिर निर्माण में राजस्थानी पत्थर का हो रहा इस्तेमाल अब इन सभी पत्थरों को स्टोन क्लीनिक के साथ कई तरह के रिमूवर का प्रयोग कर साफ किया जाएगा. इन पत्थरों को साफ करने में स्टेन, एल्बो सीमेंट, डस्ट रिमूवर और पेंट रिमूवर का प्रयोग होगा. यह सभी पत्थर राजस्थान के भरतपुर के बंसी पहाड़पुर के हैं. इन पत्थरों के बारे में ऐसा माना जाता है कि इनकी क्वालिटी इतनी बेहतर होती है कि ये लंबे समय तक चमचमाते रहते हैं. इन पत्थरों की उम्र तकरीबन 5000 साल तक मानी जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि इन पत्थरों पर जब पानी पड़ता है तो इन पर काई जमने के बजाय और ज्यादा निखरता आ जाती है. हजारों वर्ष तक इन पत्थरों की चमक बरकरार रहती है. ऐसे में यह तय है कि यह पत्थर जब रामलला के मंदिर को आकार देंगे तो यह हजार साल तक ऐसे ही अपनी चमक बरकरार रखेंगे.
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कारसेवक पुरम स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखें इन पत्थरों पर विभिन्न भाषाओं में जय श्री राम लिखा हुआ भी नजर आएगा. दरअसल, देश के विभिन्न इलाकों से जब भी भक्त अयोध्या घूमने के लिए आते हैं, तो यहां पर अपनी आस्था पत्थरों पर जय श्री राम लिख कर दर्शाते हैं. उनकी ये मनोकामना होती है कि जल्द भव्य राम मंदिर का निर्माण हो. अब रामलला ने उनकी यह मनोकामना भी पूर्ण कर दी है. 5 अगस्त से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या राम जन्म भूमि पर भूमि पूजन करते ही मंदिर आकार लेना शुरू कर देगा और भक्तों की सदियों की प्रतीक्षा समाप्त होगी.
राम मंदिर निर्माण में राजस्थानी पत्थर का हो रहा इस्तेमाल अब तीन से साढ़े तीन साल के अंदर जब अयोध्या में रामलला का भव्य राम मंदिर तैयार होगा, तो 28 सालों से निर्माण कार्यशाला में रखे यह पत्थर मंदिर के हर तरफ लगे हुए नजर आएंगे. पत्थरों का 28 साल का मंदिर निर्माण का आकार लेने का इंतजार खत्म होगा, तो भक्तों का सैकड़ों साल का मंदिर निर्माण होने का सपना पूरा होगा.