जयपुर. G-6 के नाराज चल रहे विधायकों को तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक वाजिब अली और संदीप यादव को राजनीतिक नियुक्तियां देकर साधने का प्रयास किया है, लेकिन जिन नेताओं को पहले राजनीतिक नियुक्तियां (Political Appointment in Rajasthan) मिल चुकी है वे नेता शक्तियों के अभाव में अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां पाने वाले ज्यादातर उपाध्यक्षों के हालात यही हैं. पहले तो सरकार बनने के 3 साल बाद देरी से राजनीतिक नियुक्तियां दी गई और जब नियुक्तियां दी भी गई तो उपाध्यक्षों को दर्जा न देकर उन्हें सैलेरी ओर वाहन भत्ता दे दिया गया. जिससे ये उपाध्यक्ष आहत हैं.
राजस्थान यूथ बोर्ड (Rajasthan Youth Board Vice President) के उपाध्यक्ष सुशील पारीक ने कहा कि हममें से कोई भी उपाध्यक्ष पैसे के लिए यहां नहीं आया होगा. ऐसे में हम राजनीतिक लोग हैं और राजनीति करते हैं तो पद के हिसाब से ताकत और शक्तियां भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष पद की जो शक्तियां हैं वह सभी लोगों को समान रूप से मिलनी चाहिए (demand for strength according to position) ताकि हम जो कांग्रेस संगठन के लोग हैं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का काम भी करवा सकें. पारीक ने कहा कि उनके लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का काम करवाना जरूरी है बजाय सैलरी और दूसरे माध्यम के.
सुशील पारीक ने पद के हिसाब से की ताकत की मांग पढ़ें- नाराजगी का असर: ऑस्ट्रेलिया में घूम रहे बसपा से कांग्रेस में आए विधायक वाजिब अली और संदीप यादव को मिली राजनीतिक नियुक्ति
...तो खुद के साथ ही करेंगे पार्टी से भी विश्वासघात- यूथ बोर्ड के उपाध्यक्ष सुशील पारीक ने कहा कि राजनीतिक नियुक्तियां मिलने पर संतोष या संतुष्टि की बात नहीं है. जो हमारे संगठन के लोग हैं, आम जनता हैं अगर वह किसी परेशानी में हैं और अगर हम उन्हें लाभ नहीं पहुंचा पा रहे हैं तो उनके साथ-साथ हम अपने और पार्टी के साथ भी विश्वासघात का काम कर रहे हैं. उन सब लोगों के काम होने चाहिए, जिन्होंने भरोसा कर सरकार बनाई. सरकार ने भरोसा कर हमें उपाध्यक्ष बनाया, ऐसे में जो भी लोगों के काम होने हैं वह होने चाहिए.
नियुक्तियों के साथ शक्तियां का मिलना जरूरी- पारीक ने कहा कि मैं कोई शिकायत नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं चाहता हूं कि पद के साथ-साथ जो सुविधाएं और शक्तियां मिलती है वो खुल कर दी जाए. इससे हम पार्टी के लोगों और आम लोगों को इसका लाभ दे सकते हैं. इसका पार्टी को भी लाभ होगा. पारीक ने कहा कि हम अब आगे भी सरकार बनाने के लिए अग्रसर हैं. सरकार की योजनाएं भी शानदार है और हमारी सरकार में अच्छे काम हो रहे हैं. मुख्यमंत्री भी काम अच्छा कर रहे हैं और सरकार रिपीट करने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि हमसे पहले भी कांग्रेस नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां मिली और हमारे बाद भी मिलेगी. अगर कुछ सुविधाओं के अभाव में लाभ नहीं मिल पा रहा है तो वह सुविधाएं भी जल्द से जल्द देनी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके.
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सरकार ने 9 फरवरी और 28 फरवरी को प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां (Political Appointment in Rajasthan) दी, जिनमें 20 सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को दिए गए कैबिनेट दर्जे के अलावा बाकी सभी उपाध्यक्षों को कोई दर्जा नहीं दिया गया है. राजनीतिक नियुक्तियां पाने वाले गैर विधायक अध्यक्षों को तो कुछ दिनों में ही कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा देकर सुविधायें दी गए, लेकिन उपाध्यक्षों को कोई दर्जा नहीं दिया गया. 19 जुलाई को उपाध्यक्षों के लिए वेतन के रूप में 30,000 रुपए, वाहन भत्ता या यात्रा भत्ते के रूप में 30,000 रुपए, आवास भत्ते के रूप में 10,000 रुपए और टेलीफोन या मोबाइल के भत्ते के रूप में 5000 रुपए समेत कुल 75,000 रुपए महीने के मिलते हैं. लेकिन ज्यादातर उपाध्यक्ष मन ही मन सैलरी से नाखुश हैं क्योंकि वह सैलरी नहीं दर्जा चाहते थे.
ये बने उपाध्यक्ष- दीपचंद खेरिया, पंकज मेहता, सचिन सरवटे, सुमेर सिंह राजपुरोहित, डूंगरराम गेदर, सतवीर चौधरी, राजेश टंडन, रामकिशोर बाजिया, सांवरमल मेहरिया, चुन्नीलाल राजपुरोहित, किशनलाल जेदिया, रमिला खड़िया, सुशील पारीक, चतराराम देशबंधु ,जगदीश राज श्रीमाली, रमेश बोराणा, मंजू शर्मा, मानसिंह गुर्जर, कीर्ति सिंह भील, मीनाक्षी चंद्रावत, सुचित्रा आर्य, दर्शन सिंह गुर्जर और दिवाकर बैरवा.