जयपुर. राजस्थान को ऊर्जा के क्षेत्र में नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन अवॉर्ड (National Energy Conservation Award) से नवाजा जाएगा. 14 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन दिवस के मौके पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की ओर से सम्मानित किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा विभाग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने दी जानकारी.
अग्रवाल ने बताया कि अन्य प्रदेशों के लिए राजस्थान की अनुकरणीय उपलब्धियों को देखते हुए स्टेट परफॉर्मेंस श्रेणी में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की ऊर्जा नीति 2019 और निवेश प्रोत्साहन योजना 2019 के सफल क्रियान्वयन से राज्य अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेशकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गया है. अग्रवाल के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे प्रदेश जहां अधिक ऊर्जा उपभोग होता है, उस श्रेणी में राजस्थान अब अग्रणी हो चुका है.
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ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान को मिलने वाले पुरस्कार पर खुशी जाहिर करते हुए विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार के लिए चयन होना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में प्रबंधकीय दक्षता से कार्य किया जा रहा है.
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य के लिए यह गौरव की बात है कि देश के ऊर्जा क्षेत्र के गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, हरियाणा जैसे अधिक ऊर्जा उपभोग वाले राज्यों की श्रेणी में एनर्जी एफिशिएंसी के क्षेत्र में राजस्थान के कुशल प्रबंधन को देखते हुए चयन किया गया है. उन्होंने बताया कि इससे पहले पिछले दिनों केन्द्र सरकार की ओर से जारी ऊर्जा दक्षता क्षेत्र में राजस्थान को फ्रंट रनर प्रदेश के रूप में चुना जा चुका है.
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एसीएस ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से स्टेट एनर्जी एफिशिएंसी इंडेक्स में निर्धारित मापदंड़ों के आधार पर चयन किया जाता है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से उद्योगों, बिल्डिंगों, नगर निकायों, कृषि और डिस्कॉम्स, परिवहन के साथ ही क्रास सेक्टरों में ऊर्जा संरक्षण को देखते हुए पुरस्कार के लिए चयन किया जाता है.
उन्होंने बताया कि राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने केंद्र सरकार की नोडल संस्था के रूप में कार्य करते हुए पिछले एक साल में अवेयरनेस अभियान के साथ ही संबंधित विभागों में नोडल अधिकारी बनाने और नियमित मॉनिटरिंग से यह उपलब्धि हासिल हो सकी है.