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सुनो सरकार दो रोजगार : हजारों विद्यार्थी मित्र अभी भी कर रहे वादा पूरा होने का इंतजार, अल्प मानदेय से भी आहत

राजस्थान में करीब 6000 विद्यार्थी मित्र दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं और 4 साल से नियमित होने का इंतजार कर रहे (Rajasthan Vidyarthi Mitra) हैं. विद्यार्थी मित्रों की मानें तो 2014 में भाजपा सरकार ने उन्हें घर बैठाया, तब से लेकर आज तक उनका संघर्ष जारी है. देखिए ये रिपोर्ट...

Rajasthan Vidyarthi Mitra
प्रदर्शन करते विद्यार्थी मित्र

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Published : Oct 4, 2022, 9:28 AM IST

जयपुर. 2006 से 2014 तक सरकारी विद्यालयों में अल्प मानदेय पर काम कर चुके 24 हजार 163 विद्यार्थी मित्रों में से 6000 विद्यार्थी मित्र (6000 Vidyarthi Mitra in Rajasthan) पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार की ओर से निकाली गई पंचायत सहायक भर्ती से भी वंचित रह गए, जो अभी भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. वहीं, जिन्हें पंचायत सहायक की नौकरी मिली वो भी अल्प मानदेय से आहत हैं और 4 साल से नियमित होने का भी इंतजार कर रहे हैं. आलम ये है कि राज्य सरकार ने कुछ पंचायतों को नगर पालिका में तब्दील कर दिया. ऐसे में वहां लगे 94 पंचायत सहायकों को भी हटा दिया गया है और करीब 200 पर तलवार लटकी हुई है.

2006-07 में अध्यापकों की आपूर्ति के लिए तत्कालीन सरकार ने विद्यार्थी मित्र योजना लागू की थी, जिसमें ग्रेड फर्स्ट, सेकंड और थर्ड तीनों श्रेणियों में शिक्षकों के रिक्त स्थानों पर विद्यार्थी मित्रों को लगाया गया था और योग्यता अनुसार उनका पेमेंट भी निर्धारित किया गया था. 2008 तक ये संख्या 24 हजार 163 तक जा पहुंची, लेकिन अल्प मानदेय की वजह से विद्यार्थी मित्रों को योजना लाने के 2 साल बाद ही संघर्ष शुरू करना पड़ा. इन विद्यार्थी मित्रों का मानदेय तो नहीं बढ़ा, लेकिन इन पर सरकार की मार जरूर पड़ी.

विद्यार्थी संघ के संयोजक रामजीत पटेल

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विज्ञप्ति में करोड़ों रुपए इक्ट्ठा किए गए: विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायक संघ संयोजक रामजीत पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि पहले 2013 में अशोक गहलोत सरकार ने बोनस अंक के आधार पर शिक्षक सहायक भर्ती का नोटिफिकेशन निकाला. उस विज्ञप्ति के जरिए करोड़ों रुपए इकट्ठा किए और फिर वो भर्ती कोर्ट के आदेशों पर निरस्त हो गई. इसके बाद 2015 में वसुंधरा सरकार ने उसी भर्ती का नाम बदलकर विद्यालय सहायक के नाम पर विज्ञप्ति जारी की, लेकिन उसमें कमियां छोड़ी, जिसकी वजह से वो भी न्यायालय ने निरस्त कर दी और गहलोत सरकार की तर्ज पर करोड़ों रुपए डकार लिए. इसका दंश 70 से ज्यादा विद्यार्थी मित्रों ने भुगता और वो काल के ग्रास बने. इनमें 32 ने तो आत्महत्या कर ली.

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विद्यार्थी मित्रों की मानें तो 2014 में भाजपा सरकार ने उन्हें घर बैठाया, तब से लेकर आज तक उनका संघर्ष जारी है. उस दौर में सैकड़ों आंदोलन किए गए, महीने भर धरने प्रदर्शन आंदोलन किए गए जिसके आगे सरकार को झुकना पड़ा. 2017 में पंचायत सहायक भर्ती का नया फार्मूला अपनाया गया. 23 हजार 749 पंचायत सहायकों को महज 6000 से 7000 अल्प मानदेय पर नियुक्ति दी गई. उन्होंने कहा कि 2008 में जहां विद्यार्थी मित्र 5200 के मानदेय पर काम कर रहे थे, उन्हें 10 साल बाद 6000 से 7000 का मानदेय तय कर शोषण किया गया. लेकिन इनमें भी 6000 विद्यार्थी मित्र वंचित रह गए. फिलहाल जिन पंचायतों को नगर पालिका में तब्दील किया, वहां के 94 पंचायत सहायकों को घर बैठा दिया गया और करीब 200 पंचायत सहायकों पर गाज गिरने की नौबत आ रही है.

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पंचायत सहायकों ने दिल्ली का रूख किया: वहीं, अब विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायकों ने नियमितीकरण वंचित विद्यार्थी मित्रों को नौकरी और दो वर्षों में नवसृजित नगरपालिका से प्रभावित हुए पंचायत सहायकों को संविदा सेवा नियम में शामिल कर सेवा बहाल करने जैसी मांगों को लेकर दिल्ली का रुख करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले ऐलान किया था कि पंचायत सहायकों को नियमित करेंगे, लेकिन संविदा सेवा नियम का लॉलीपॉप देकर इतिश्री कर ली. ऐसे में जब सीएम के चेहरे को दिल्ली से फाइनल किया जाना है, तो उन्हें लगता है कि उन्हें भी नियमित नौकरी दिल्ली से ही मिलेगी. इसी अक्टूबर में सोनिया गांधी के घर जाकर गुहार लगाई जाएगी और जल्द पंचायत सहायक एक्सप्रेस दिल्ली के लिए रवाना होगी.

बता दें कि विद्यार्थी मित्रों को छात्रों को पढ़ाने के लिए लगाया गया था. विद्यार्थी मित्रों ने भी प्राइमरी एजुकेशन में गुणवत्ता लाने का हर संभव प्रयास किया, और फिर B.Ed एसटीसी किए हुए विद्यार्थी मित्रों को पंचायत सहायक बनाया गया. जिसमें उनसे गैर शैक्षणिक कार्य कराए जा रहे हैं. जो मानदेय मिल रहा है वो भी नाकाफी ही है, जिसे लेकर विद्यार्थी मित्र आज भी संघर्षरत हैं, और अब दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है.

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