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राजस्थान : परिवहन मंत्री ने रोडवेज को सरकार के अधीन करने के लिए लिखा पत्र

राजस्थान रोडवेज को प्रदेश की लाइफ लाइन कहा जाता है. हर तबके के लोग रोडवेज की बसों में यात्रा करते हैं, लेकिन रोडवेज की हालत बीते कुछ सालों से सही नहीं है. ऐसे में अब रोडवेज में जान फूंकने और कर्मचारियों को राहत देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

Pratap Singh Khachariyawas
राजस्थान रोडवेज

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Published : Aug 26, 2021, 10:34 PM IST

जयपुर. मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास इन दिनों विभाग को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. लगातार रोडवेज के अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि पंजाब और हरियाणा सरकार ने रोडवेज की बसों को सरकार में शामिल किया था. उसके बाद आंध्रप्रदेश सरकार ने भी कॉरपोरेशन को बंद करके रोडवेज को अपने अधीन कर लिया है. अब राजस्थान सरकार भी बसों का संचालन करने में और कर्मचारी के हितों में फैसला ले सकती है. इसको लेकर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है.

ईटीवी भारत ने 3 जुलाई को खबर की थी प्रकाशित :राजस्थान सरकार भी रोडवेज की आर्थिक तंगी को देखते हुए अपने अधीन करने की कवायद कर रही है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने 3 जुलाई को खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद परिवहन मंत्री ने अब इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही रोडवेज कॉरपोरेशन को सरकार अपने अधीन ले सकती है. इसके बाद भी कर्मचारियों की परेशानी को सरकार खुद दूर कर सकेगी और रोडवेज के बेड़े में नई बसें भी शामिल हो सकेंगी.

राजस्थान परिवहन मंत्री

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार के अधीन होने के बाद राजस्थान रोडवेज को घाटे से उबारा जा सकेगा, साथ ही उसका सफल संचालन भी हो सकेगा. राजस्थान रोडवेज की स्थापना 1 अक्टूबर 1964 में हुई थी. बसों का संचालन कॉर्पोरेशन के द्वारा किया जा रहा है. रोडवेज संचालन अवधि के बाद से ही लगातार घाटे में चल रही है. वर्तमान में रोडवेज करीब 5000 करोड़ से अधिक के घाटे में चल रही है.

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सरकार में शामिल होने से ही यह होगा फायदा : विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारी यूनियनों की ओर से आए दिन हड़ताल करते हुए बसों का संचालन बंद कर दिया जाता है. इसके चलते रोडवेज को नुकसान के साथ जनता को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सरकार के बेड़े में शामिल होने के बाद यह परेशानी दूर हो सकेगी. कर्मचारियों की वेतन विसंगति के साथ सभी मांगों का फैसला सरकार खुद दूर कर सकेगी. गौरतलब है कि पिछले दिनों निजीकरण के विरोध और अन्य मांगों को लेकर कर्मचारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया था.

जानिए कौन से प्रदेश में कितनी बसें और कितने कर्मचारी...

राज्य बसें कर्मचारी
हरियाणा 3900 19000
आंध्र प्रदेश 12000 50 हजार से अधिक
राजस्थान 4000 13000

कर्मचारियों को यह होगा फायदा...

रोडवेज कॉरपोरेशन को सरकार अपने अधीन करने के साथ ही रोडवेज के कर्मचारियों को भी इसका फायदा सीधे तौर पर मिलेगा. जहां एक तरफ रोडवेज कर्मचारी अपनी तनख्वाह और पेंशन को लेकर जो आंदोलन करते हैं, वह भी खत्म हो जाएंगे. साथ ही सरकार के द्वारा जो कॉरपोरेशन को अनुदान दिया जाता है, वह भी खत्म हो जाएगा. सीधे तौर पर सरकार ही रोडवेज के कर्मचारियों के साथ डील कर सकेगी, जिससे रोडवेज की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

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