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Special: रंग ला रही परिवहन विभाग की मुहिम...अंगदान के लिए 'हां' करने वालों की बढ़ रही संख्या - Organ donation in rajasthan

राजस्थान परिवहन विभाग की तरफ से लाइसेंस बनवाने के दौरान ऑर्गन डोनेशन से संबंधित सवाल अनिवार्य करने के बाद 30 प्रतिशत आवेदकों ने ऑर्गन डोनेशन के लिए हामी भरी है. इससे पहले केवल 2 से 3 प्रतिशत ही लोग ऑर्गन डोनेशन के लिए हां कहते थे. परिवहन विभाग की इस पहल को लेकर पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

Organ donation in rajasthan  Organ donation statistics
ऑर्गन डोनेशन के लिए परिवहन विभाग मुहिम चला रहा है

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Published : Sep 15, 2020, 7:25 PM IST

जयपुर. 'अंगदान महादान' की परिकल्पना अभी तक किताबों में सिमटी हुई थी. हर साल अंगों की कमी के चलते हजारों लोगों की जान चली जाती है. लगातार अंगदान के लिए मुहिम चलाई जा रही है. जिससे की कई जिंदगियों को बचाया जा सके, लेकिन लोगों में इसको लेकर भ्रांतियां हैं. सरकार की तरफ से जागरूकता का अभाव भी दिखता है, लेकिन राजस्थान परिवहन विभाग की एक पहल ने इस मुहिम को सार्थक करने की दिशा में अहम भूमिका निभाई है.

परिवहन विभाग की पहल...

देशभर में हर साल सड़क हादसों में लाखों लोगों की जान चली जाती है. ऐसे में यदि मौत के बाद ऑर्गन किसी दूसरे जरूरतमंद को दिए जाएं तो देशभर में कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में हर साल करीब 1.5 लाख लोग सड़क हादसों का शिकार होते हैं. वहीं, राजस्थान में भी हर साल करीब 10 हजार लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं.

ऑर्गन डोनेशन का सवाल अनिवार्य करने के बाद लोग हुए जागरूक...

परिवहन विभाग की मुहिम रंग लाई...

परिवहन विभाग में 2 महीने पहले अगर कोई आवेदक लाइसेंस के लिए अप्लाई करता था तो ऑर्गन डोनेट करने को लेकर पूछा जाने वाला सवाल अनिवार्य नहीं था. जिसके चलते अधिकतर लोग उस सवाल को स्कीप कर देते थे, लेकिन परिवहन आयुक्त रवि जैन ने ऑर्गन डोनेट से संबंधित सवाल अनिवार्य कर दिया. जिसके बाद सभी लाइसेंस आवेदकों को अब सवाल का जवाब देना जरूरी हो गया है.

3 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक पहुंची अंगदान देने वालों की संख्या...

ऑर्गन डोनेट करने से संबंधित पूछा जाने वाला सवाल अनिवार्य करने के बाद जहां पहले केवल 3 प्रतिशत लोग ही अपनी डेथ के बाद ऑर्गन देने की इच्छा जता रहे थे तो वहीं अब यह संख्या बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है. बीते 3 महीनों के अगर डेटा पर नजर डालें तो जुलाई में 1,19,888 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. जिनमें से केवल 3146 आवेदकों ने ही ऑर्गन डोनेशन की इच्छा जताई थी, लेकिन इस डेटा में अगस्त महीने में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिली.

एक व्यक्ति के ऑर्गन से 6 से 7 लोगों की जान बचाई जा सकती है...

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अगस्त में 1,10,937 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया. जिनमें से 26661 लोगों ने ऑर्गन डोनेशन की इच्छा जताई. वहीं, 9 सितंबर तक 39650 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया तो ऑर्गन डोनेशन के लिए हामी भरने वालों की संख्या 11423 थी. ऑर्गन डोनेशन के लिए हां कहने वालों की संख्या में इजाफा साफ देखा जा सकता है. जहां पहले ऑर्गन डोनेशन वाला सवाल अनिवार्य नहीं होने पर लोग उसे छोड़ देते थे, उसमें रूचि नहीं लेते थे, लेकिन अब आवेदक मौत के बाद ऑर्गन डोनेशन के लिए काफी संख्या में आगे आ रहे हैं.

लाइसेंस पर लिखा जाएगा ऑर्गन डोनर...

परिवहन विभाग के आयुक्त रवि जैन ने बताया कि जो आवेदक ऑर्गन डोनेशन के लिए हां कह रहे हैं. उनके लाइसेंस पर ऑर्गन डोनर लिखा जाएगा. अगर कहीं दुर्घटना में ऑर्गन डोनर की मौत होती है तो उसके लाइसेंस से पहचान हो जाएगी की वो ऑर्गन डोनर है या नहीं. जिसके बाद तत्काल उसे किसी अस्पताल में ले जाकर ऑर्गन निकाले जा सकें. रवि जैन का कहना है कि एक व्यक्ति के ऑर्गन से 6 से 7 लोगों की जिंदगी बजाई जा सकती है.

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राजस्थान में सड़क हादसे...

हर साल के साथ ही राजस्थान में सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. साल 2017 में राजस्थान में 22112 सड़क हादसे हुए, जिनमें 10444 लोगों की मौत हो गई. वहीं, साल 2018 में प्रदेश में 21742 सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें 10323 लोगों की जान गई. साल 2019 में प्रदेश में 30468 सड़क दुर्घटनाओं में 10561 लोगों ने अपनी जान गंवाई. 22964 लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए थे.

परिवहन विभाग लिखेगा केंद्र सरकार को पत्र...

राजस्थान परिवहन विभाग केंद्र सरकार को इस मुहिम को लेकर पत्र लिखने जा रहा है. रवि जैन का कहना है कि अगर यह पहल देश के हर परिवहन विभाग में शुरू हो जाए तो ऑर्गन डोनेशन के लिए लोगों में जागरूकता आएगी और काफी संख्या में लोग ऑर्गन डोनेशन के लिए सामने आएंगे. सालों से ऑर्गन डोनेशन की दिशा में लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन परिवहन विभाग ने जिस तरह से लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में ऑर्गन डोनेशन वाले सवाल को अनिवार्य करके जो पहल की है वो सराहनीय है.

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