जयपुर.आमतौर पर राजस्थान में पर्यटन का सीजन सितंबर से लेकर मार्च के अंत तक होता है. इस लिहाज से समझा जाए तो जैसे ही लॉकडाउन खत्म होने के आसार आगामी कुछ महीनों बाद बनेंगे तब पर्यटन के उद्योग के लिए राजस्थान में अपार संभावनाएं होंगी. लेकिन कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के बाद दुनिया भर में जो हालात पैदा हुए हैं, उनमें लोगों की प्राथमिकता में सैर सपाटा और घूमना फिरना अब फेहरिस्त में आखिरी नंबर पर होगा.
लिहाजा इसकी चिंता राजस्थान में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों को भी सताने लगी है. गौरतलब है कि प्रदेश में जयपुर और जैसलमेर में बड़ी तादाद में सैलानी पहुंचते हैं, तो इसके अलावा उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और सिरोही के माउंट आबू में भी पर्यटकों की दिलचस्पी कुछ कम नहीं होती है.
यह साफ है कि सरिस्का और रणथंभौर अभ्यारण बरसात के महीने में बंद होने के बाद अक्टूबर तक खुलेंगे. इससे पहले स्कूलों में पड़ने वाली गर्मियों की छुट्टियों के बीच में दक्षिण के कुछ राज्यों समेत मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों से भी सैलानी राजस्थान आया करते थे. अब पर्यटन विभाग की कोशिश है कि इन देसी पावणों को ज्यादा से ज्यादा रिझाया जाए. यहां तक कि सरकार भी मान रही है कि लगभग अगले डेढ़ साल तक स्थितियों को सुधारने में समय लगेगा.
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राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे से भी बात कर चुके हैं. वहीं, प्रदेश के पर्यटन उद्योग से जुड़े संगठनों से भी इस सिलसिले में बातचीत शुरू की गई है. जिससे पर्यटन के क्षेत्र में नई जान फूंकी जा सके. इस सिलसिले में ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर के पर्यटन कारोबारी संजय कौशिक से बात की तो उन्होंने भी सरकार के इस कैंपेन का समर्थन करते हुए घरेलू पर्यटकों पर ही जोर देने की बात कही.
साथ ही कौशिक ने बताया कि बीते 2 महीने के दौरान ही राजस्थान के पर्यटन उद्योग को 500 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ है. अगर 2020 तक की बात की जाए तो पर्यटन और इससे जुड़े अन्य उद्योगों में दिसंबर तक यह नुकसान हजारों करोड़ का होगा और इसके कारण राजस्थान में बेरोजगारी भी बड़े पैमाने पर बढ़ेगी.