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राजस्थान के सभी जिलों में पेयजल जांच प्रयोगशालाओं को मिला 'एनएबीएल एक्रीडिशन'

राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आमजन को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पीने के पानी की गुणवत्ता जांच से सम्बंधित सुविधाओं के विस्तार पर लगातार काम किया जा रहा है. प्रदेश में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (Public health Engineering Department Rajasthan) के तहत सभी 33 जिला मुख्यालयों पर कार्यरत जिला स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं के 'एनएबीएल एक्रीडिशन' (NABL Accreditation In Rajasthan) का कार्य पूरा कर लिया गया है.

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग

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Published : Jan 17, 2022, 7:20 PM IST

जयपुर. जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के तहत प्रदेश में पेयजल गुणवत्ता जांच के लिए सभी जिलों में संचालित पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं के 'एनएबीएल एक्रीडिशन' का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. जयपुर में पीएचईडी के मुख्यालय पर राज्य स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला स्थापित है, इसके अलावा अन्य 32 जिलों में जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं चलाई जा रही हैं. अब इन सभी 33 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र संस्था 'नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्रीज' (NABL Accreditation In Rajasthan) से प्रमाणीकरण मिल गया है.

स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर

जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने बताया कि राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों मे आमजन को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पीएचईडी विभाग (Public health Engineering Department Rajasthan) पीने पानी की गुणवत्ता जांच से सम्बंधित सुविधाओं के विस्तार पर लगातार फोकस कर रहा है. विभागीय अधिकारियों को पूरे प्रदेश में संचालित पेयजल योजनाओं के माध्यम से जनता को नियत समय पर निर्धारित मात्रा में गुणवत्ता युक्त शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए सुधारात्मक प्रयास निरतंर जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं.

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पेयजल गुणवत्ता परीक्षण की दर घटाई

जोशी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने आमजन के स्तर पर पेयजल गुणवत्त जांच को बढ़ावा देने के लिए सभी नागरिकों के लिए 16 बिंदुओं पर आधारित पेयजल गुणवत्ता परीक्षण की दर 1000 रुपये से घटाकर 600 रुपये की है. इससे प्रदेश की सभी 'एनएबीएल एक्रीडेटेड' जिला स्तरीय गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं में लोगों को फ्लोराइड, नाईट्रेट, थर्मो टॉलरेंट कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया, टोटल कोलोफॉर्म बैक्टेरिया, आर्सेनिक, आयरन, सल्फेट, क्लोराइड, रेजिड्यूअल क्लोरिन, टोटल हार्डनेस, टोटल अल्केलिनिटी, टर्बिनिटी, टोटल डिजोल्वड सॉलिड, पीएच, कलर और ऑडर के 16 बिन्दुओं पर आधारित गुणवत्ता जांच की सुविधा मुहैया कराई जा रही है.

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10 नये पदों के सृजन को मिली मंजूरी

मंत्री जोशी ने बताया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2024 तक सभी परिवारों को 'हर घर जल' कनेक्शन उपलब्ध कराने के साथ ही वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग एंड सर्विलांस प्रोगाम में पेयजल गुणवत्ता की दृष्टि से राज्य सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं. चालू वित्तीय वर्ष में 102 नई ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं भी स्थापित होगी. राज्य सरकार ने प्रदेश में पेयजल गुणवत्ता जांच से सम्बंधी कार्यों में और अधिक सघनता के लिए पीएचईडी में मुख्य रसायनज्ञ कार्यालय के तहत 10 नये पदों के सृजन को भी मंजूरी दी है. इनमें मुख्य रसायनज्ञ का एक अतिरिक्त पद, अधीक्षण रसायनज्ञ के 3 तथा वरिष्ठ रसायनज्ञ के 6 पद शामिल हैं.

पानीपेच में बनेगा राज्य स्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन

जलदाय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में WQMS (Water Quality Management Systems) के तहत वर्ष 2020-21 की वार्षिक योजना में 67 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही राज्य के 353 पंचायत समिति मुख्यालयों में से 102 में ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है. पीएचईडी के तहत जयपुर में चल रही राज्य स्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन बनाने के लिए 3 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है. स्टेट लेबोरेट्री का यह भवन पानीपेच में बनाया जाएगा, इसके लिए स्थान चिह्नित कर लिया गया है.

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जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वीकृत परियोजनाओं में 'हर घर जल' कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ एवं गुणवत्तापूर्ण पेयजल आपूर्ति की मॉनिटरिंग के लिए 11 हजार 343 ग्राम पंचायतों में वितरण के लिए 12 हजार से अधिक 'फील्ड टेस्टिंग किट' की खरीद की गई है. अब तक करीब 8 हजार 'फील्ड टेस्टिंग किट' का वितरण किया जा चुका है. 'फील्ड टेस्टिंग किट' का उपयोग करते हुए राज्य के 43 हजार 323 गांवों में गठित ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (VWSC-Village Water and Sanitation Committee) के सदस्य जेजेएम में 'हर घर जल' कनेक्शन के माध्यम से पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता की समयबद्ध जांच कर सकेंगे. इसके लिए वीडब्ल्यूएससी के सदस्यों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.

ऐसे मिलता है एनएबीएल एक्रीडिशन

देश में एनएबीएल (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) जांच प्रयोगशालओं के प्रमाणीकरण के लिए राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र संस्था है. संस्था की ओर से आईएसओ/आईईसी 17025 के तहत परीक्षण प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण दिया जाता है. यह संस्था भारत सरकार में 'क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया' के तहत स्थापित है. जो लेबोरेट्रीज के 'एनएबीएल एक्रीडिशन' के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी के रूप में प्रयोगशालाओं की लीगल आईडेंटिटी, इसमें कार्यरत मानव श्रम की संख्या के साथ ही उनकी योग्यता और अनुभव (जांच में दक्षता की परख) आदि बिन्दुओं के आधार पर 'परफोरमेंस ऑडिट' के बाद प्रमाणीकरण करती है. प्रदेश में पेयजल प्रयोगशालाओं के 'एनएबीएल एक्रीडिशन' के लिए पीएचईडी में सम्बंधित कार्यालय के स्तर से एनएबीएल में प्रयोगशालाओं के एक्रीडिशन के लिए आवेदन किया जाता है. इसके बाद निर्धारित नियमों के अनुरूप ऑडिट होती है.

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