जयपुर. कोरोना के कारण बंद स्कूलों को राज्य सरकार ने एक बार फिर खोलने का फैसला लिया है. इसके तहत प्रदेश में नर्सरी से 12वीं तक की सभी स्कूलें 2 अगस्त से खोली जाएंगी. संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि निजी स्कूलों के दबाव में सरकार ने यह निर्णय लिया है. साथ ही मांग है कि स्कूल भेजने पर यदि बच्चे संक्रमित होते हैं तो जवाबदेही किसकी होगी. यह तय होना चाहिए.
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद अग्रवाल का कहना है कि सरकार का यह फैसला बड़ा ही अचंभित करने वाला है. लगता है कि जैसे सरकार ने इस फैसले को लेकर कोई तैयारी नहीं की है. कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (delta variant) को लेकर लगातार खबरें आ रही है. विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आएगी और इसमें बच्चों के सबसे ज्यादा संक्रमित होने का खतरा है. ऐसे समय में सरकार ने बिल्कुल असंवेदनशील होकर यह फैसला लिया है. ऐसा लगता है, जैसे सरकार ने निजी स्कूलों के दबाव में यह फैसला लिया है. फीस को लेकर अभिभावकों पर लगातार दबाव है.
अरविंद अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फीस को लेकर जो फैसला दिया है, उसकी पालना सरकार नहीं करवा पा रही है. जब सरकार ने निजी स्कूलों से बिना टीसी कटवाए ही सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रवेश देने का फैसला लिया. बाद में सरकार उससे भी पलट गई. ऐसे में अब यह साफ तौर पर दिख रहा है कि सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर काम कर रही है. बच्चों के स्वास्थ्य के ऊपर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. बच्चों को कोरोना से बचाने को लेकर क्या व्यवस्था रहेगी. कोई इस पर बात नहीं कर रहा है. यदि बच्चे संक्रमित होते हैं तो जिम्मेदारी किसकी होगी.
उन्होंने कहा कि आम अभिभावक आज कोरोना काल में बहुत ही पिसा हुआ महसूस कर रहे हैं. वे आर्थिक रूप से दबे हुए महसूस कर रहे हैं. आज जब लोगों के सामने घर चलाने की भी बड़ी समस्या है. कारोबार नहीं है. ऐसी स्थिति में बच्चे अगर संक्रमित होते हैं तो जिम्मेदारी किसकी होगी. इस सवाल पर सरकार ने चुप्पी साधी हुई है. निजी स्कूलों के जो संगठन हैं. उनके दबाव में काम करती हुई सरकार नजर आ रही है.