जयपुर.राजस्थान रोडवेज के आंकड़े खुद रोडवेज की हालत बयां कर रहे हैं. क्योंकि राजस्थान रोडवेज के पास पहले 4 हजार 500 बसें हुआ करती थीं. लेकिन अब धीरे-धीरे राजस्थान रोडवेज की बसों की हालत खराब होती जा रही है. साथ ही कुछ बसें तो कंडम की स्थिति तक पहुंच गई हैं, जिससे राजस्थान रोडवेज को लगातार आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. रोडवेज के कुछ अधिकारी तो ऐसे हैं, जो खुद ही राजस्थान रोडवेज को घाटा दिला रहे हैं.
रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह ने बताया कि निगम ने लॉकडाउन से पहले 875 ब्लू लाइन एक्सप्रेस बसों की खरीद की गई थी. इन बसों की खरीद के लिए रोडवेज ने इलाहाबाद बैंक से लोन लिया था. वर्तमान में कोविड- 19 के चलते निगम का परिचालन नहीं हो पा रहा है. राजस्थान रोडवेज को रोजाना दो करोड़ के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. चूंकि लॉकडाउन से पहले राजस्थान रोडवेज को रोजाना पांच करोड़ का राजस्व अर्जन होता था. लेकिन हाल ही में रोडवेज की पूरी बसें संचालित नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में कई बसें कंडम भी हो गई हैं, जिसके चलते रोडवेज की आय घटकर तीन करोड़ ही रह गई है. इससे रोडवेज को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं राजेश्वर सिंह ने बताया कि वर्तमान में रोडवेज की 2 हजार 559 बसें संचालित हो रही हैं. ऐसे में रोडवेज के सभी चीफ मैनेजरों से भी बातकर, अनुबंधित बसों के संचालन की तैयारी की जा रही है.
यह भी पढ़ें:SPECIAL: टैक्सी में पैनिक बटन की परियोजना 2 साल से अधर में अटकी, परिवहन विभाग नहीं ले रहा सुध
राजस्थान रोडवेज पहले करता था 4,500 बसें संचालित
राजस्थान रोडवेज कोरोना से पहले लगभग 4 हजार 500 बसें संचालित करता था. राजस्थान रोडवेज की मांग तहसील, गांव, जिले या शहर के लिए हमेशा होती रही है. वहीं राजस्थान रोडवेज में पैसों की कमी से बसों की खरीद भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में निर्धारित किलोमीटर पूरे होने के बाद भी बसों का मेंटेनेंस कर उन्हें संचालित किया जाता है, जिससे उनकी डीजल में खपत ज्यादा होती है और उनका मेंटेनेंस भी ज्यादा आता है. इसी वजह से रोडवेज को जितनी आए होनी चाहिए, वह रोडवेज नहीं कर पाता और नई बसों की खरीद की जगह रोडवेज मेंटेनेंस की हुई बसों का संचालन कर रहा है.
राजस्थान रोडवेज के आंकड़ों को देखा जाए तो 550 बसें पुरानी होने के बाद भी उनका मेंटेनेंस कर उन्हें संचालित किया जा रहा है. राजस्थान लोक परिवहन सेवा की बसें भी लगभग 6 साल पुरानी हो चुकी हैं. लेकिन उन्हें भी रोडवेज के द्वारा नहीं बदला जा रहा है, जिससे रोडवेज की आय को लगातार चपत लग रही है.