जयपुर: राजस्थान में अब हर आम और खास व्यक्ति को स्वास्थ्य का अधिकार मिलेगा (Rajasthan Right to health bill). प्रदेश गहलोत सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल को विधानसभा में पेश किया. हालांकि बिल में रही खामियों के बीच सुझावों पर चर्चा करने के लिए बिल पास होने की जगह प्रवर समिति को भेज दिया गया. बिल की खामियों को लेकर सिविल सोसायटी ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. इस बिल की खामियों को लेकर Etv भारत ने जन स्वास्थ्य अभियान की राज्य समन्वयक छाया पचौली से खास बात की.
बिल का स्वागत:पचौली ने कहा किराजस्थान सरकार के ‘स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक’ का स्वागत करते हैं (Know All About Health Bill). स्वास्थ्य सेवाओं तक आमजन की पहुंच बढ़ाने और उनके स्वास्थ्य अधिकारों के संरक्षण के लिए ऐसा ठोस कदम उठाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. पचौली ने कहा कि यदि इस विधेयक को इसकी वास्तविक भावना से पारित और कार्यान्वित किया जाता है तो ये निश्चित रूप से सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा. साथ ही अन्य राज्यों के लिए इसी तरह के कानून लाने का मार्ग प्रशस्त करेगा.
कमजोर, नॉन कमिटेड बिल:छाया ने कहा कि ये बिल अपने वर्तमान स्वरूप में बहुत आश्वस्त करने वाला नहीं दिखता है (Flaws in Rajasthan Health Bill). इसमें बहुत कुछ बाद में बनाए जाने वाले नियमों के लिए छोड़ दिया है. ये कमजोर, नॉन कमिटमेंट वाला और स्पष्टता के अभाव से भरा हुआ है. इसमें गारंटी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जबकि सरकार कोई भी बिल लाती है तो उसमें स्पष्टता होती है और गारंटी शब्द को जोड़ा जाता है. मार्च 2022 में सुझावों के लिए सार्वजनिक डोमेन पर रखे गए बिल के पिछले मसौदे में एक खंड में "स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी" शब्द का इस्तेमाल किया गया था, वर्तमान बिल ‘गारंटी’ शब्द को पूरी तरह से नजर अंदाज़ कर रहा है. इससे सरकार की ओर से लोगों को अधिकार स्वरूप स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी देने की मंशा पर कई प्रश्नचिंह खड़े होते हैं.
चर्चा और सुधार की जरूरत:छाया ने कहा कि जब ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा था तब सिविल सोसाइटी ने अपने सुझाव दिए थे. बिल सरकार की तरफ से बहुत अधिक प्रतिबद्धता प्रदर्शित नहीं करता है. अधिकतर खंड अस्पष्ट प्रतीत होते हैं और नीति-नियमों को तैयार करने की समयसीमा नहीं दी गई है. जिससे संपूर्ण विधेयक किसी भी ठोस व्याख्या के लिए अस्पष्ट हो जाता है इसलिए जन स्वास्थ्य अभियान मांग करता है कि इस विधेयक में जो खामियां हैं उन्हें प्रवर समिति सुझाव लेकर पूरा करे, ताकि प्रदेश की जनता को एक मजबूत ठोस स्वास्थ्य का कानून मिल सके.