जयपुर. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कहा कि 13 जिले का मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. ऐसे में असंतुलित मंत्रिमंडल कब तक संतुलित होकर चलेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
राठौड़ ने कहा कि बसपा से कांग्रेस में आए 5 विधायक और 11 निर्दलीय विधायकों को भी इस पुनर्गठन से निराशा ही हाथ लगी, जिन्होंने कांग्रेस सरकार को अपना समर्थन दे रखा था. राठौड़ ने कहा कि नवनियुक्त मंत्रियों में वह भी शामिल हैं जो पिछले 3 वर्षों से अपने पत्र और वक्तव्यों के जरिए सरकार को घेरने और कमियां गिनाने में लगे थे. उम्मीद है अब वो सारी कमियों को दुरुस्त कर देंगे.
'ढाक के तीन पात' साबित होंगे गहलोत के प्रयास : देवनानी
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने रविवार देर शाम एक बयान जारी कर कहा कि सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने मंत्रिमंडल का विस्तार और पुनर्गठन तो कर लिया, लेकिन इससे कांग्रेस में अंतर्कलह थमने के बजाय और बढ़ेगी. देवनानी ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार केवल रेवड़ियां बांटने के सिवाय और कुछ नहीं है.
देवनानी ने टीकाराम जूली को कैबिनेट मंत्री बनाने पर हुए विरोध और शपथ ग्रहण समारोह से कई विधायकों की दूरी का उदाहरण भी दिया. वहीं, राज्यमंत्री बनाई गई जाहिदा खान के पति पर दुष्कर्म के आरोप का उदाहरण देकर यह तक कह दिया कि ऐसे में कांग्रेस सरकार से महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए क्या अपेक्षा की जा सकती है. देवनानी ने कहा कि सरकार में सलाहकार और संसदीय सचिव बनाने का निर्णय भी रेवड़ियां बांटने के समान ही है.
सामने आई कांग्रेस विधायकों की नाराजगी, वरिष्ठों की अनदेखी का भी भुगतना होगा खामियाजा : रामलाल
भाजपा विधायक व प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा (Ram Lal Sharma) ने भी बयान जारी कर मंत्रिमंडल पुनर्गठन से वंचित रहे कांग्रेस विधायकों (Congress MLA) की भावनाओं को सुलगाना शुरू कर दिया है. शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार टीकाराम जूली के विरोध में कांग्रेस के विधायकों ने बोलना शुरू किया और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के कांग्रेस में शामिल हुए 6 में से एकमात्र विधायक को ही मंत्री बनाने और सरकार को समर्थन दे रहे किसी भी निर्दलीयों को मंत्री पद न देने से यह असंतोष और तेजी से बढ़ेगा. इसका खामियाजा प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ेगा.