जयपुर. राजस्थान में राजनीति मोड़ तब आया जब सचिन पायलट की ओर से यह कहा गया है कि उनकी समस्याओं को सुनने के लिए जो कांग्रेस आलाकमान ने कमेटी बनाई थी वह कमेटी अपना काम करने में फेल हो गई है. तब से राजस्थान में फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई. इसके बाद सचिन पायलट 11 जून को दिल्ली चले गए तो लगा कि अब दिल्ली में सचिन पायलट की कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात होगी और राजस्थान में जो भी सचिन पायलट की नाराजगी की बातें हैं उन्हें सुन लिया जाएगा और दूर कर दिया जाएगा.
दरअसल, ये सारे कायास बालू की ढेर की तर बिखर गए. 11 जून को दिल्ली गए सचिन पायलट आज 16 जून को वापस जयपुर लौट आएं हैं, लेकिन इस दौरान न तो सचिन पायलट की कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात हुई और ना ही उनके उठाए मुद्दों पर अभी कोई सुनवाई. बहरहाल, अब सचिन पायलट वापस जयपुर लौट आएं हैं ऐसे में हर किसी को इंतजार है कि पायलट का अगला कदम क्या रहता है?
पायलट ने नहीं मांगा आलाकमान से समय: वेद सोलंकी
पायलट कैंप के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी सचिन पायलट जब 11 जून को दिल्ली रवाना हुए तो हर कोई यह कहता हुआ नजर आया कि सचिन पायलट की मुलाकात दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान, जिनमें प्रियंका गांधी भी शामिल हैं उनसे हो सकती है, लेकिन 5 दिन दिल्ली में रहने के बाद भी सचिन पायलट की राजस्थान की हलचल को लेकर आलाकमान से कोई चर्चा नहीं हुई. इस मामले पर बोलते हुए पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी ने कहा कि यह महज एक अफवाह है कि सचिन पायलट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी से कोई समय मांगा था.
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उन्होंने कहा कि मैं यह आधिकारिक रूप से कह रहा हूं कि सचिन पायलट ने किसी से न तो समय मांगा ना किसी से उनकी मुलाकात हुई. ऐसे में एक बात साफ है कि भले ही पायलट कैंप के विधायक यह सफाई देते दिखाई दे रहे हों कि सचिन पायलट ने आलाकमान के किसी नेता से मिलने का समय नहीं मांगा था, लेकिन हकीकत यही है की पायलट कैंप के समर्थक सभी विधायकों को यह उम्मीद थी कि सचिन पायलट दिल्ली जाकर आलाकमान से मुलाकात करेंगे और राजस्थान में पायलट कैंप को उचित मान-सम्मान मिलेगा, लेकिन फिलहाल इसकी कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है.
आलाकमान से मुलाकात नहीं होना पायलट कैंप में लाएगा निराशा
भले ही अब पायलट कैंप के विधायक यह कहते हुए नजर आए की सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान से समय नहीं मांगा है, लेकिन दिल्ली में सचिन पायलट की उठाई हुई बातों को आलाकमान की ओर से सचिन पायलट को बुलाकर नहीं सुना जाना सचिन पायलट और उनके समर्थकों के लिए निराशा की खबर है. क्योंकि पायलट और उनके समर्थक विधायक जिस तरीके से आलाकमान को कमेटी की ओर से सुनवाई नहीं की जाने की शिकायत मीडिया के जरिए करते दिखाई दे रहे थे, उसके बावजूद भी कांग्रेस आलाकमान का सचिन पायलट से मुलाकात नहीं करना यह बताता है कि कांग्रेस आलाकमान इस मुद्दे में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं दिखा रहा है, जो पायलट कैंप के लिए निश्चित तौर पर एक चिंता का सबब है.
वहीं, इस पूरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का डॉक्टरों की सलाह का हवाला देते हुए यह कह देना कि अगले 1 से 2 महीने तक वह किसी से प्रत्यक्ष रूप में मुलाकात नहीं करेंगे, जिससे पायलट कैंप कि मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों पर विराम लग गया है. ऐसे में पायलट खेमे की तुरंत मंत्रिमंडल विस्तार की मांग केवल मांग बनकर रह गई है.
गहलोत कैंप के विधायकों ने पायलट को बताया गद्दार
11 जून को सचिन पायलट जब दिल्ली रवाना हुए थे उस समय केवल सचिन पायलट कैंप की ओर से ही राजनीतिक नियुक्तियों, मंत्रिमंडल विस्तार और कांग्रेस कार्यकर्ता की सुनवाई नहीं होने के आरोप लगाए जा रहे थे, लेकिन अब जब सचिन पायलट 16 जून को वापस लौट रहे हैं तो बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने उन पर गद्दार होने के आरोप तक लगा दिए हैं, जिसके चलते सचिन पायलट की छवि को निश्चित तौर पर नुकसान हुआ है. भले ही सचिन पायलट कैंप के विधायकों की ओर से गद्दार कहे जाने का विरोध किया गया हो, लेकिन जो आरोप उन पर लगे हैं वह पायलट की छवि को खराब करने वाले ही हैं. इसके बाद अब सचिन पायलट को अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठकर दोबारा से रणनीति तैयार करनी होगी.
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मुद्दों पर जल्द नहीं हुई सुनवाई तो राजस्थान दौरे पर निकल सकते हैं पायलट!
अब आलाकमान सचिन पायलट से मुलाकात नहीं कर रहा है और उधर अशोक गहलोत ने भी यह संकेत दे दिए हैं कि अगले 1 या 2 महीने तक वह किसी से मुलाकात नहीं करेंगे तो मंत्रिमंडल विस्तार का सवाल ही नहीं उठता. ऐसे में खास जानकारों के अनुसार सचिन पायलट ने भी आलाकमान को यह संदेश भिजवा दिया है कि वह भले ही रहेंगे कांग्रेस में ही, लेकिन कांग्रेस में रहते हुए वह अब राजस्थान के दौरे शुरू करेंगे.
पायलट अगर राजस्थान के दौरों पर निकलते हैं तो इससे एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज होगी और अगर उनको जनता का समर्थन मिला तो फिर ऐसे में कांग्रेस के प्रदर्श नेतृत्व और आलाकमान दोनों पर इनकी मांगों को लेकर दबाव बढ़ेगा. हालांकि, अभी राजनीतिक दौरे भविष्य का विषय हैं, लेकिन पायलट कैंप इस पर पूरा फोकस कर रहा है.