नई दिल्ली/जयपुर. राजस्थान में एक महीने के लंबे राजनीतिक घमासान का उस समय अंत हो गया, जब पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपना बगावती रूप छोड़ दिया और अपने ट्वीट के माध्यम से घोषणा की, कि वह कांग्रेस में वापस आ गए हैं. पायलट अपने समर्थित विधायकों के साथ अब राज्य में अपनी सरकार का समर्थन करने के लिए वापस जयपुर लौटने के लिए बिल्कुल तैयार हैं.
मंगलवार शाम करीब 4 बजे तक पायलट के जयपुर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. उन्होंने अपने ट्वीट में उनकी बातों को सुनने और सुलह के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, मैं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारी शिकायतों पर ध्यान दिया. उन्होंने लिखा कि मैं अपने विश्वास पर कायम हूं और एक बेहतर भारत के लिए काम करता रहूंगा, राजस्थान के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की कोशिश करता रहूंगा.
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हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच अनबन जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है. सरकार को गिराने और भाजपा से जुड़ने के आरोपों के आधार पर गहलोत राज्य मंत्रिमंडल के साथ-साथ राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से पायलट को बाहर करने में सफल रहे.
हमें किसी पद की लालसा नहींः पायलट
दूसरी तरफ पिछले एक महीने से चल रहे सियासी संग्राम के बीच पहली बार पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मीडिया से मुखातिब हुए कहा था कि सरकार और संगठन के कई सारे मुद्दे थे, जिन पर हमें केंद्रीय नेतृत्व से बात करनी थी. उन्होंने उल्लेख किया था कि वह 'किसी पद के लिए लालसा नहीं रखते'. पायलट ने कहा कि हमारे सैद्धांतिक मुद्दे थे, गवर्नेंस के मुद्दे थे और वह मुद्दे थे जिन्हें लेकर हम सरकार में आए थे.
"मुझे दुख है कि राजद्रोह का नोटिस दिया गया और 25 दिन बाद वापस ले लिया गया. हम अदालत गए. मामले दर्ज किए गए. इन कार्रवाइयों से बचा जा सकता था. मैंने अपने मुद्दों को उठाया. प्रतिशोध की राजनीति नहीं होनी चाहिए. मैंने किसी पद की कोई मांग नहीं रखी है. मैं पार्टी की ओर से दी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तैयार हूं."