जयपुर.कांग्रेस से बगावत करने के बाद सचिन पायलट आलाकमान से मिलकर जयपुर लौट चुके हैं. इस बीच एक चर्चा लगातार राजस्थान के सियासी गलियारों में सवालों के साथ खड़ी है, कि जीत किसकी हुई? इस मामले में अगर गौर किया जाए तो बगावत का झंडा उठाकर भी सचिन पायलट ने कांग्रेस में जगह कायम रखी है, तो अशोक गहलोत की कुर्सी भी जस की तस है.
ऐसे में इस सवाल का सीधा सा जवाब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के ताजा बयानों में नजर आता है. यह फैसला एक बार फिर कांग्रेस में आलाकमान के भरोसे ही तय हुआ है. राजस्थान के सियासी रण में लगातार बयानबाजी के दौर के बीच में कौन किस पर हावी है? इस तस्वीर पर सबकी निगाहें थी, इस पूरे सियासी घटनाक्रम पर विराम तब लगा, जब 10 अगस्त की सुबह से दिल्ली से सचिन पायलट और राहुल गांधी के बीच मुलाकात की चर्चाएं तेज हुई और देर शाम होते-होते तस्वीर साफ हो गई.
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सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी की और 9 अगस्त को जैसलमेर के सूर्यगढ़ पैलेस में विधायक दल की बैठक से आई खबर पर विराम लगा दिया. इस खबर के मुताबिक अशोक गहलोत के सामने पार्टी के विधायकों ने एक स्वर में सचिन पायलट और उनसे जुड़े विधायकों को कांग्रेस में फिर से एंट्री देने का विरोध किया था. लेकिन 10 तारीख की शाम को हुए फैसले के मुताबिक सचिन पायलट और कांग्रेस के बीच का नाता किसी प्रकार से खत्म होता हुआ नजर नहीं आया.