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राजस्थान सियासी घटनाक्रम के बीच सबकी निगाहें पायलट पर, अब तक नहीं आए हैं सामने

राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच अब सभी की नजर सचिन पायलट पर है, लेकिन सचिन पायलट अब तक सामने नहीं आए हैं.

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सबकी निगाहें सचिन पायलट पर

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Published : Jul 14, 2020, 5:53 PM IST

जयपुर/दिल्ली. राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच सचिन पायलट दिल्ली में हैं. 11 जुलाई से शुरू हुए राजस्थान के सियासी ड्रामे ने धीरे-धीरे अब विकराल रूप ले लिया. गहलोत और पायलट की अदावत किसी से छुपी नहीं है. अब खुलकर जो वॉर सामने आ गए हैं, उनसे साफ हो गया कि गहलोत इन पर भारी पड़ रहे हैं. मंगलवार को राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की दोबारा बैठक हुई, लेकिन इस बैठक में भी सचिन पायलट शामिल नहीं हुए.

सबकी निगाहें सचिन पायलट पर

इस बीच सभी की नजर अब सचिन पायलट पर ही है, लेकिन सचिन पायलट अब तक सामने नहीं आए हैं. जानकारी के अनुसार सचिन पायलट दिल्ली में हैं, लेकिन जब से सियासी उठापटक शुरू हुई है तब से उन्हें अपने घर से बाहर जाते नहीं देखा गया है. साथ ही उन्हें मानेसर में जहां पर पायलट कैंप के विधायक ठहरे हैं, वहां भी उन्हें नहीं देखा गया है. लेकिन कांग्रेस आलाकमान उनसे लगातार संपर्क कर रही थी.

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वहीं, मंगलवार को हुई बैठक के बाद हालात ये हो गए कि अब सचिन पायलट की छुट्टी हो चुकी है. चाहे उप मुख्यमंत्री का पद हो या फिर पीसीसी चीफ की कुर्सी सब छिन गई. सिर्फ सचिन पायलट की ही नहीं उनके खेमे के दो कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा तक बर्खास्त कर दिया है. वहीं पीसीसी चीफ के पद पर गहलोत के करीबी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को काबिज कर दिया.

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बता दें कि मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सचिन पायलट को बीते 72 घंटे में कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि पायलट ही नहीं दोनों मंत्रियों और बाकी विधायकों से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया. सीडब्ल्यूसी के मेंबर्स और राजस्थान के संगठन महामंत्री अविनाश पांडे ने भी उनसे कई बार बात की. इसके बाद भी वे विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए.

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इसी के चलते बीते 4 दिनों से यह प्रयास हो रहा था कि अगर कोई परिवार का सदस्य रास्ता भटक जाए तो उसे वापस लाने का प्रयास होना चाहिए. लेकिन वह इनमें सफल नहीं हुए तो ऐसे में उन्हें मजबूरी में यह निर्णय लेना पड़ा. इसके साथ ही पायलट के करीबी विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी मंत्री पदों से हटा दिया गया है.

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