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Special: भूमि संबंधित विवादों का राजस्थान पुलिस इस तरह से करती है समाधान

जमीन से संबंधित किसी भी तरह का विवादित मामला होने पर पीड़ित पक्ष सबसे पहले पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाता है, लेकिन पुलिस की ऐसे मामलों में कोई विशेष भूमिका नहीं होती है. यहां जानिए भूमि संबंधित विवादों का पुलिस किस तरह समाधान करती है.

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भूमि संबंधित विवादों का राजस्थान पुलिस इस तरह से करती है समाधान

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Published : Mar 28, 2021, 10:30 PM IST

जयपुर.जमीन से संबंधित किसी भी तरह का विवादित मामला होने पर पीड़ित पक्ष सबसे पहले पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाता है. हालांकि, भूमि से संबंधित विवादों का निपटारा सिविल न्यायालय में किया जाता है और पुलिस की ऐसे मामलों में कोई विशेष भूमिका नहीं होती है. इसके बावजूद भी लोग प्रतिदिन विभिन्न पुलिस थानों में भूमि से संबंधित विवादित मामले लेकर पहुंचते हैं. जहां पर पुलिस समझाइश कर मामला सिविल न्यायालय का बताकर शिकायत लेकर पहुंचे लोगों को न्यायालय का रुख करने की राय देती है. वहीं, कई मामले ऐसे आते हैं जिसमें पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ता है ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति ना बिगड़े.

भूमि संबंधित विवादों का राजस्थान पुलिस इस तरह से करती है समाधान

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एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि जमीन से संबंधित दो प्रकार के प्रकरण पुलिस के पास आते हैं. एक तो ऐसे प्रकरण जिसमें जमीन की खरीद-फरोख्त से संबंधित रुपयों के लेन-देन को लेकर विवाद होता है, तो वहीं दूसरे प्रकरण ऐसे होते हैं जब धोखाधड़ी करते हुए एक ही प्लॉट को 2 या उससे भी अधिक बार बेच दिया जाता है.

इसके साथ ही अनेक बार ऐसी शिकायतें प्राप्त होती है जब किसी व्यक्ति की भूमि पर जबरन कब्जा करने का प्रयास किया जाता है. ऐसे प्रकरण में पुलिस त्वरित कार्रवाई करते हुए जबरन कब्जा कर रहे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार करती है.

सिविल न्यायालय में होता है निपटारा

एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि जमीन की खरीद-फरोख्त में आपसी लेनदेन के विवादों का निपटारा सिविल न्यायालय में होता है. ऐसे प्रकरणों में दस्तावेजों की कोई भी हेरफेर या धोखाधड़ी नहीं होती है, केवल रुपयों के लेन-देन का विवाद होता है. ऐसे प्रकरणों में दो पार्टनर्स के बीच में हुए एग्रीमेंट की शर्तों की अवहेलना का मामला होता है, जिसमें किसी भी तरह का क्रिमिनल ऑफेंस नहीं बनता है.

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ऐसे प्रकरण पुलिस थानों में आने पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर लोगों को सिविल न्यायालय की शरण में जाने की सलाह देती है. ऐसे प्रकरणों का सिविल न्यायालय में किस तरह से निपटारा किया जा सकता है इसके बारे में पुलिस की ओर से परिवादी को गाइड कर दिया जाता है.

इन प्रकरणों में पुलिस करती है अनुसंधान

एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि जमीन के विवाद से जुड़े ऐसे प्रकरण जिसमें किसी जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हो, फर्जी पट्टे तैयार किए गए हो या एक ही जमीन को दो या उससे भी अधिक बार लोगों को बेचा गया हो तो यह तमाम प्रकरण क्रिमिनल ऑफेंस के अंतर्गत आते हैं. भूमि से संबंधित ऐसे प्रकरण पुलिस थानों में दर्ज किए जाते हैं और ऐसे व्यक्ति जो धोखाधड़ी करते हुए फर्जीवाड़ा कर लोगों से राशि ठगने का काम करते हैं उन्हें गिरफ्तार किया जाता है.

ऐसे प्रकरणों में अनुसंधान पूरा करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ पुलिस की ओर से न्यायालय में चालान पेश किया जाता है. इसके साथ ही आरोपी को सख्त से सख्त सजा दिलाने का प्रयास किया जाता है. वहीं, ऐसे प्रकरण जहां किसी की भूमि पर जबरन कब्जा करने की नियत से धन बल के साथ बदमाश घुसते हैं, ऐसे प्रकरण में पुलिस की ओर से त्वरित कार्रवाई करते हुए विभिन्न धाराओं के अंतर्गत बदमाशों को गिरफ्तार किया जाता है.

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