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राजस्थान : केंद्र में गठबंधन छोड़ा, लेकिन पंचायत समिति प्रधान चुनाव में RLP और BJP दिखी साथ-साथ

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Published : Sep 6, 2021, 9:46 PM IST

केंद्रीय कृषि कानून को लेकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने भले ही केंद्र की भाजपा सरकार से अपना गठबंधन तोड़ दिया हो, लेकिन राजस्थान में पंचायत समिति प्रधान चुनाव में आरएलपी और भाजपा (RLP-BJP) एक दूसरे के साथ ही दिखाई दी. जोधपुर में जहां कुछ पंचायत समितियों में भाजपा ने आरएलपी का साथ देकर उसके प्रधान बनवाए तो वहीं जयपुर सहित कुछ जगह आरएलपी ने भी बीजेपी का पूरा साथ दिया.

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पंचायत समिति प्रधान चुनाव में आरएलपी और भाजपा

जयपुर. पंचायत समिति प्रधान चुनाव में आरएलपी ने जोधपुर जिले की चामू और बावरी पंचायत समितियों में भाजपा की मदद से अपने प्रधान बनाए. बावरी पंचायत समिति में कुल 21 सीट में से आरएलपी के पास 7 ही सीट थी, लेकिन प्रधान बनाने के लिए यहां भाजपा ने आरएलपी का साथ दिया. इसी तरह जोधपुर की चामू पंचायत समिति में बीजेपी, कांग्रेस और आरएलपी के 5-5 सदस्य थे, लेकिन यहां आरएलपी ने अपना प्रधान बनाया. माना जा रहा है कि बीजेपी ने ही इसमें मदद की.

आरएलपी ने यहां की भाजपा की मदद : जोधपुर जिले में ही ओसियां पंचायत समिति में भाजपा और कांग्रेस के 11-11 सदस्य थे. ऐसे में आरएलपी के एक सदस्य ने यहां निर्णायक भूमिका निभाते हुए भाजपा का साथ दिया और भाजपा का प्रधान यहां बना. वहीं, जोधपुर की बिलाड़ा पंचायत समिति की कुल 19 सीटों में से 7 वार्डों पर भाजपा का कब्जा था, लेकिन यहां आरएलपी की व निर्दलीय की मदद से भाजपा ने अपना प्रधान बनाया.

बात की जाए जयपुर जिले की तो यहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के विधानसभा क्षेत्र में आने वाली जालसू पंचायत समिति में आरएलपी की मदद से ही बीजेपी ने अपना प्रधान बनाया है. यहां 25 वार्डों में से 12 वार्ड भाजपा के कब्जे में थे, जबकि 1 वार्ड आरएलपी के कब्जे में था और 3 निर्दलीयों के पास. माना जा रहा है कि यहां आरएलपी ने भाजपा की मदद की और प्रधान बनाया.

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इसी तरह जयपुर की गोविंदगढ़ पंचायत समिति में भी आरएलपी की मदद से ही भाजपा ने अपना प्रधान बनाया. यहां 31 वार्डों में से 14 पर बीजेपी का कब्जा था, जबकि 3 वार्डों में आरएलपी काबिज थी. जयपुर की ही चाकसू पंचायत समिति में भी भाजपा ने आरएलपी की मदद से ही अपना प्रधान बनाया. 15 वार्ड वाली इस पंचायत समिति में बीजेपी के पास महज 5 ही सदस्य थे, जबकि आरएलपी के 2 सदस्यों का यहां भाजपा को साथ मिला और बीजेपी का ही प्रधान बना.

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