जयपुर. राजस्थान में गुरुवार को जिला प्रमुख और प्रधान को लेकर चुनाव हुआ. पूरे प्रदेश में जो नतीजे आए हैं, उनमें कुछ जगह के नतीजे ऐसे रहे की हर कोई चौंक गया. अजमेर में कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए भाजपा की निर्दलीय को जीता दिया तो डूंगरपुर में भाजपा के निर्दलीय को कांग्रेस ने इसलिए जीता दिया ताकि भारतीय ट्राइबल पार्टी का जिला प्रमुख बनने से रोका जा सके.
जिला प्रमुख के साथ अशोक चांदना वहीं, जैसलमेर में पूरा बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस चुनाव हार गई क्योंकि जैसलमेर विधायक रूपाराम की बेटी अंजना मेघवाल और मंत्री सालेह मोहम्मद के भाई अब्दुल्ला फकीर को कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी के तौर पर नहीं उतारा तो कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने बगावत कर दी और भाजपा का जिला प्रमुख जैसलमेर में बन गया.
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इन चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी भी अब भाजपा से दूरी बनाती दिख रही है. यही कारण है कि बाड़मेर में जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास 18-18 जिला परिषद सदस्य थे, लेकिन भाजपा के जिला परिषद सदस्यों के क्रॉस वोट करने से बाड़मेर में कांग्रेस का जिला प्रमुख बना.
वहीं, नागौर में भाजपा के पास 20 वोट थे तो कांग्रेस के पास 18 और आरएलपी के पास 9, लेकिन आरएलपी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया. यहां तक कि नागौर से एक भाजपा के वोटर ने भी क्रॉस वोट कर दिया, जिससे कि भाजपा और कांग्रेस के बीच टाई हो गया. हालांकि वह तो पर्ची में भाजपा प्रत्याशी का नाम निकल गया नहीं तो भाजपा के हाथ से नागौर जिला प्रमुख की सीट फिसल ही गई थी.
राजस्थान में जिला प्रमुख के कहां रोचक परिणाम आए हैं...
- अजमेर जिला प्रमुख- सचिन पायलट और मंत्री रघु शर्मा ने भाजपा से छीनी जीत
अजमेर में कुल 32 सीटों में से 21 सीट पर भाजपा के जिला परिषद सदस्य जीते थे, तो कांग्रेस के महज 11 जिला परिषद सदस्यों ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. ऐसे में अजमेर से भाजपा का जिला प्रमुख बनना तय था, लेकिन भाजपा की पूर्व विधायक और जिला प्रमुख रही सुशील कंवर पलाड़ा ने अपनी पार्टी से बगावत कर दी और निर्दलीय ही ताल ठोक दी.
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ऐसे में मंत्री रघु शर्मा और सचिन पायलट एक्टिव हो गए. उन्होंने अजमेर जिला प्रमुख के लिए कांग्रेस का प्रत्याशी ना उतार कर सभी 11 कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों का वोट उन्होंने भाजपा से बगावत कर रही सुशील कंवर पलाड़ा को दिलवा दिए. नतीजा यह हुआ कि भाजपा के प्रत्याशी महेंद्र सिंह मझेवाला चुनाव हार गए. रोचक बात यह है कि यहां भाजपा के भी 12 जिला परिषद सदस्यों ने भाजपा की बागी सुशील कंवर पलाड़ा को वोट दिया. ऐसे में कांग्रेस ने रणनीति के तहत भाजपा से यह सीट छीन ली. हालांकि, अभी सुशील कंवर पलाड़ा ने कांग्रेस का दामन नहीं थामा है.
- बूंदी जिला प्रमुख- मंत्री अशोक चांदना ने भाजपा से छीनी जीत
बूंदी में भी हालात अजमेर जैसे ही थे. यहां 23 जिला परिषद सदस्यों में से भाजपा के 12 और कांग्रेस के 11 जिला परिषद सदस्य चुनाव जीते थे. इस हिसाब से भाजपा का जिला प्रमुख बनना निश्चित था, लेकिन मंत्री अशोक चांदना ने सक्रियता दिखाते हुए भाजपा के हाथ से यह जीत छीन ली.
बूंदी से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती चंद्रावती कंवर ने भाजपा से बगावत कर दी और निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया. ऐसे में अशोक चांदना ने स्ट्रेटजी दिखाते हुए कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं उतारा और कांग्रेस के सभी 11 वोट भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रही चंद्रावती कंवर को दिलवा दिए तो एक भाजपा के जिला परिषद मेंबर ने भी क्रॉस वोट कर दिया. इससे चंद्रावती कंवर चुनाव जीत गई. नतीजा आते ही अशोक चांदना ने चंद्रावती कंवर को कांग्रेस की सदस्यता भी दिलवा दी.
- डूंगरपुर जिला प्रमुख- बीटीपी को रोकने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने मिलाया हाथ
राजस्थान का सबसे चौंकाने वाला नतीजा डूंगरपुर जिला प्रमुख का आया. डूंगरपुर की सीट ऐसी रही जहां भाजपा और कांग्रेस ने भारतीय ट्राइबल पार्टी को रोकने के लिए आपस में हाथ मिला लिया. दरअसल, डूंगरपुर में 27 जिला परिषद सीटें थी, जिनमें से 8 सीटें भाजपा ने जीती थी तो 6 सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. यहां बीटीपी के 11 जिला परिषद सदस्य जीते थे, जिन्हें दो निर्दलीयों का भी समर्थन था.
ऐसे में बीटीपी का जिला प्रमुख बनना लगभग तय था, लेकिन यहां भाजपा और कांग्रेस ने आपस में हाथ मिला लिया और भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही प्रत्याशी नहीं उतारते हुए भाजपा की जिला परिषद मेंबर सूर्या देवी को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार दिया. जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों के जिला परिषद सदस्यों ने वोट देकर जिला प्रमुख बना दिया.
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ऐसे में कांग्रेस ने कहने को तो भाजपा को वोट ना देकर निर्दलीय प्रत्याशी को वोट दिया, लेकिन हकीकत यही है कि भारतीय ट्राइबल पार्टी को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी ने भाजपा से हाथ मिला लिया. सूर्या देवी को 27 में से 14 वोट मिले, जबकि निर्दलीय पार्वती को 13 वोट ही मिले.
- जैसलमेर जिला प्रमुख- नाराज हुए मंत्री सालेह मोहम्मद
जैसलमेर जिला प्रमुख का नतीजा भी इस बार कम चौंकाने वाला नहीं था. जहां 17 जिला परिषद सदस्यों में से कांग्रेस के पास बहुमत के लिए जरूरी 9 जिला परिषद सदस्य जीते हुए थे, लेकिन जैसलमेर में लड़ाई इस बात की थी कि जिला प्रमुख का कैंडिडेट कौन होगा. जहां एक ओर मंत्री सालेह मोहम्मद के भाई और पूर्व जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर जिला प्रमुख का कांग्रेस का टिकट चाहते थे, तो वहीं जैसलमेर से विधायक रूपाराम अपनी बेटी पूर्व जिला प्रमुख अंजना मेघवाल के लिए कांग्रेस का टिकट चाहते थे. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने दोनों ही नेताओं के परिजनों को टिकट ना देकर रुकिया खातून को टिकट दे दिया.
ऐसे में दोनों नेताओं के परिजनों ने निर्दलीय चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन कांग्रेस में बगावत हो गई. हालात यह हुए कि कांग्रेस की बगावत के कारण 4 कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग कर दी, जिससे कि भाजपा के प्रताप सिंह जिला प्रमुख बन गए. करीब 20 सालों के बाद जैसलमेर की सीट कांग्रेस के हाथ से गई है, वह भी कांग्रेस की ही बगावत से.
आरएलपी के हनुमान बेनीवाल क्या छोड़ रहे हैं एनडीए का हाथ...
राजस्थान में इस बार बाड़मेर और नागौर के जिला प्रमुख कौन होंगे, इस पर हर किसी की नजर थी. नतीजे आए तो दोनों जिलों से ना भाजपा को पूरा बहुमत मिला और ना ही कांग्रेस को. बाड़मेर में 18-18 सदस्यों के साथ भाजपा और कांग्रेस के बराबर जिला परिषद मेंबर चुनाव जीत कर आए तो एक सदस्य आरएलपी का था. लेकिन भाजपा के एक जिला प्रमुख सदस्य बुधवार से लापता थे, जिससे क्रॉस वोटिंग का डर भाजपा में गहरा गया था.
गुरुवार को जब चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने रूप सिंह राठौड़ को अपना उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने महेंद्र चौधरी को. 37 जिला परिषद सदस्यों में से 21 वोट लेकर महेंद्र चौधरी जिला प्रमुख बन गए हैं, जिससे साफ है कि 3 क्रॉस वोट भी हुए हैं.
- नागौर जिला प्रमुख- किस्मत से जीती भाजपा
नागौर से 47 जिला परिषद सदस्यों में से 20 जिला परिषद सदस्य भाजपा के जीते थे, तो 18 जिला परिषद के सदस्य कांग्रेस के. यहां पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के भी 9 जिला परिषद सदस्य जीते थे. ऐसे में अगर गठबंधन का धर्म निभाया जाता तो भाजपा आसानी से अपना जिला प्रमुख बना लेती. लेकिन आरएलपी ने भी अपना प्रत्याशी उतार दिया.
साथ ही भाजपा के भी एक प्रत्याशी ने क्रॉस वोट कर दिया, जिससे कि भाजपा प्रत्याशी भागीरथ राम और और कांग्रेस प्रत्याशी सहदेव चौधरी को 19-19 वोट आए और मुकाबला टाई हो गया. ऐसे में पर्ची के जरिए जिला प्रमुख का निर्णय हुआ, जिसमें भाजपा के भागीरथ राम जीत गए. ऐसे में केवल किस्मत से ही नागौर जिला प्रमुख की सीट भाजपा के हाथ आई है.