जयपुर. अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि जब तक हमें लिखित में आदेश नहीं मिलेगा, तब तक महापड़ाव (Rajasthan Ministerial employees Mahapadav) नहीं हटाया जाएगा. एक अन्य संगठन से रविवार रात को हुई मुख्यमंत्री से वार्ता को लेकर भी प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि आमरण अनशन हम लोग कर रहे हैं और सरकार किसी और से वार्ता कर रही है.
जयपुर के शहीद स्मारक पर मंत्रालयिक के कर्मचारियों ने 2 अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू किया था. जिसमें 6 मंत्रालयिक कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठे थे लेकिन उनकी तबीयत खराब होने के बाद महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना आमरण अनशन पर बैठे हैं और आमरण अनशन पर बैठे हुए उन्हें 17 दिन हो चुके हैं.
राजस्थान मंत्रालयिक कर्मचारियों का महापड़ाव पिछले दिनों मुख्य सचेतक महेश जोशी (Mahesh Joshi) ने शहीद स्मारक जाकर मंत्रालयिक कर्मचारियों से मिले थे. उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी मांग सरकार तक पहुंचाई जाएगी लेकिन मंत्रालयिक कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि आश्वासन से काम नहीं चलेगा. अब सरकार को उनकी मांग पूरी होने का लिखित में आदेश देना होगा. मनोज सक्सेना के स्वास्थ्य में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
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राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना ने सरकार ने बताया कि रविवार को एक अन्य संगठन को मुख्यमंत्री ने वार्ता के लिए बुलाया था. इसे लेकर उन्होंने आपत्ति जताई. मनोज सक्सेना ने कहा कि हम पिछले 2 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठे हैं और महापड़ाव डाले हुए हैं. मुझे खुद को आमरण अनशन करते हुए 17 दिन हो चुके हैं. इसके बावजूद भी सरकार हमें वार्ता के लिए नहीं बुला रही. जो लोग आमरण अनशन कर रहे हैं, उससे सरकार वार्ता नहीं कर रही बल्कि अन्य संगठनों को बुलाकर वार्ता की जा रही है. सरकार ऐसा कर के क्या संदेश देना चाहती है मुझे नहीं पता.
काली दीवाली मनाने की चेतावनी
उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक लिखित में आदेश नहीं दिए जाते तब तक मंत्रालयिक कर्मचारी न तो आमरण अनशन खत्म करेंगे और ना ही महापड़ाव हटाएंगे. उन्होंने कहा कि हम लोग यहीं बैठ कर काली दिवाली बनाएंगे. उन्होंने अन्य संगठन से सकारात्मक वार्ता को लेकर कहा कि सरकार जब भी किसी संगठन से वार्ता करती है तो उसका रुख सकारात्मक ही होता है. मेरी भी कई दौर की वार्ता सरकार के साथ सकारात्मक रही लेकिन अभी तक लिखित में आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं. यदि सरकार का रुख सकारात्मक है तो उसे आदेश जारी करने में कहां परेशानी हो रही है.