जयपुर. राजस्थान में 20 जिलों के 90 निकायों के नतीजे अब सामने आ चुके हैं. इन चुनावों के नतीजों ने चाहे सत्ताधारी दल कांग्रेस हो या विपक्षी दल भाजपा, दोनों को सोचने पर मजबूर किया है कि क्या अब जनता का दोनों ही पार्टियों के नेताओं से मोहभंग हो रहा है. यही कारण है कि राजस्थान में इन निकाय चुनाव के नतीजों में निर्दलीय न केवल बड़ी संख्या में जीत कर आए हैं, बल्कि राजस्थान में इन 90 निकायों में से 46 निकाय ऐसे हैं, जहां निर्दलीय ही तय करेंगे कि किस पार्टी का बोर्ड इन निकायो में बनेगा.
मतलब साफ है कि 50 फीसदी से ज्यादा निकाय ऐसे हैं, जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस और भाजपा निर्दलीयों के आसरे होंगी और अगर अपने प्रत्याशियों के दम पर भाजपा और कांग्रेस के बोर्ड बने तो कांग्रेस पार्टी के 90 में से 19 जगह बोर्ड बनेंगे. वहीं, भाजपा के 90 में से 24 जगह ही बोर्ड बनेंगे. ऐसे में यह सवाल साफ तौर पर खड़ा हो गया है कि क्या अब राजस्थान में जनता का मोह दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस से कम हो रहा है, क्योंकि इससे पहले जब 12 जिलों के 50 निकायों के नतीजे आए थे उस समय भी स्थिति कमोबेश यही बनी थी. जनता के वोट के जरिए जीत कर आए कांग्रेस के प्रत्याशियों के वोट से तो 50 में से 15 जगह ही जीत मिली थी तो भाजपा के हालात तो इतने खराब थे कि वह केवल पांच जगह ही सिमट गई थी.
हालांकि, निर्दलीयों से मिले सहारे के चलते कांग्रेस 15 से 36 पर पहुंची तो वहीं भाजपा 4 से 11 की संख्या पा सकी. अब एक बार फिर 90 निकायों के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि जनता तो भाजपा और कांग्रेस की जगह निर्दलीयों को ही चुनकर भेज रही है. हालांकि, बाद में यह निर्दलीय जरूर भाजपा और कांग्रेस के पक्ष में चले जाते हैं.
यह स्थिति बनी है इस बार निकायों में निर्दलीयों की...
9 निकायों में तो निर्दलीय ही बहुमत में - राजस्थान में आए निकाय चुनाव के नतीजों में 9 निकाय ऐसे रहे जहां निर्दलीय पूर्ण बहुमत में हैं :