जयपुर. प्रदेशभर के व्यापार शराब व्यापारियों ने उपचुनाव में मुख्यमंत्री का घेराव करने की चेतावनी दी है. शराब व्यापारियों ने राज्य सरकार से आबकारी नीति में बदलाव और छूट की मांग की है. प्रदेश भर के शराब व्यापारी रविवार को जयपुर में जुटे. जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में शराब व्यापारियों ने बैठक आयोजित कर राज्य सरकार की नई आबकारी नीति पर आक्रोश प्रकट करते हुए बदलाव की मांग की है.
शराब व्यापारियों ने कहा है कि अगर शराब व्यापारियों की मांग नहीं मानी गई तो उपचुनाव (Rajasthan by election) में मुख्यमंत्री का घेराव करके ज्ञापन सौंपेंगे. इसके साथ ही उन्होंने राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का भी अल्टीमेटम दिया है.
राजस्थान लिकर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने बताया कि 3 महीने से प्रदेश के ठेकेदार जिला मुख्यालयों, आबकारी कार्यालयों और गोदाम पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही. रविवार को प्रदेशभर के शराब व्यापारियों की जयपुर में बैठक आयोजित की गई है. आबकारी नीति 2021-22 शराब व्यवसायियों के विरुद्ध है. नई आबकारी नीति के तहत कंपोजिट फीस, बीएलएफ समेत अनेक भार डाल दिए गए हैं. बिक्री नहीं होने के कारण अप्रैल से लेकर सितंबर तक जो बकाया है, उसको भी शराब व्यापारियों पर थोप दिया गया है.
निलेश मेवाड़ा का कहना है कि कोरोना काल में सरकार (Rajasthan Government) की ओर से कोई छूट नहीं दी गई है. शराब व्यापारियों का व्यापार खत्म हो गया है. इतना होने के बावजूद सरकार कोई भी निर्णय नहीं ले रही है. अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार गांधीवादी चोला भी पहनना चाहती है, शराब बिकवाना भी चाहती है और शराब व्यवसायियों से पैसा भी वसूल करना चाहती है लेकिन व्यापारियों को कोई राहत नहीं देना चाहती है.
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उन्होंने कहा कि आबकारी अधिकारी शराब व्यवसायियों से कहते हैं कि हमने पीले चावल थोड़ी ना दिए थे, जो आप लोग सरकार के पास शराब दुकाने लेने आए हो. उन अधिकारी को जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने ही बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाए थे. आबकारी अधिकारी ठेकेदारों के घर घर गए थे. विभाग के अधिकारी कहते हैं कि 13000 करोड़ की रेवेन्यू से हमारे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर सरकार को 13000 करोड़ के रेवेन्यू से फर्क नहीं पड़ता है तो शराबबंदी कर दीजिए.
शराब व्यापारियों ने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री से बात करना चाहते हैं तो जवाब मिलता है कि मुख्यमंत्री शराब के मामले में कोई बात नहीं करना चाहते. फिर मुख्यमंत्री ने यह विभाग अपने पास क्यों रखा है. निलेश मेवाड़ा ने बताया कि आगामी दिनों में प्रत्येक जिला स्तर पर शराब व्यापारी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे. आने वाले उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री प्रतापगढ़ और उदयपुर जाने वाले हैं. शराब व्यापारी भी मुख्यमंत्री के पास जाएंगे. चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री से राहत देने की मांग की जाएगी. अगर फिर भी मुख्यमंत्री सुनवाई नहीं करते हैं तो पूरे राजस्थान में शराब व्यापारी बिलिंग बंद करके दुकाने सरेंडर करेंगे.
दोहरी नीति अपना रही है सरकार