जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार अपने 2 साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताते हुए प्रदेशवासियों को विभिन्न लोकार्पण और शिलान्यास के जरिए कई सौगातें दे रही है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया मौजूदा सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया. साथ ही बीते दो साल की बजट घोषणाओं को भी अब तक अधूरा ही करार दिया है. कटारिया का यह भी कहना है कि गहलोत सरकार BJP के कारण नहीं अपनी फूट के कारण ही गिरेगी, लेकिन जरूर गिरेगी.
हमने अस्थिर किया तो करें कार्रवाई...
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने एक बार फिर कहा है कि मौजूदा प्रदेश सरकार अपनी फूट के चलते ही गिरेगी और इसमें भाजपा का कोई रोल नहीं रहेगा. राजस्थान कांग्रेस बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगाती हुई आई है. जिस पर गुलाबचंद कटारिया ने पलटवार करते हुए कहा कि हम पर कांग्रेस सरकार अस्थिर करने का आरोप लगाती है, लेकिन सरकार में तो ये लोग हैं. फिर हमें दोषी बनाकर कार्रवाई क्यों नहीं करते. पहले में जो कार्रवाई की गई थी और तमाम केस वापस ले लिए गए.
कटारिया ने कहा 36 का आंकड़ा तो सचिन पायलट (Sachin Pilot) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) में है, लेकिन इसका ठीकरा कांग्रेस के नेता भाजपा पर फोड़ते हैं. कटारिया के अनुसार सरकार बचाने के लिए विधायकों को मुख्यमंत्री ने जो आश्वासन दिए थे, मंत्री बनाने के, नियुक्तियां देने के, वो अधूरे पड़े हैं. ऐसे में असंतोष तो बढ़ना तय है.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत में जब नेता प्रतिपक्ष से पूछा गया कि कांग्रेस में सब एकजुट है और हाल ही में सचिन पायलट और मंत्री रघु शर्मा भी साथ-साथ अजमेर के दौरे पर दिखाई दिए. इसपर उन्होंने कहा कि रघु शर्मा को यह पता है कि सचिन पायलट से पंगा लिया तो उनकी सियासी जमीन खिसक जाएगी क्योंकि हाल ही में पंचायत राज चुनाव में केकड़ी के जो परिणाम आए, वह सबके सामने हैं. ऐसे में 2 साल तक तो यह दूर रहे लेकिन अब खुद पायलट के घर जा रहे हैं और साथ में घूम रहे हैं. कटारिया ने कहा कि बीजेपी ने तो पहले मना नहीं किया था कि आप पायलट से दूर रहो. नेता प्रतिपक्ष का मानना है कि कांग्रेस के नेता अपने हितों को देखकर ही निर्णय लेते हैं.
भाजपा में बड़े चेहरों से नहीं, कार्यकर्ताओं की मेहनत से जीत होती है...
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा में मुख्यमंत्री पद के 6-7 चेहरों से जुड़े सवाल को मीडिया की देन बताया है. यह भी कहा कि भाजपा में जिसको केंद्रीय नेतृत्व तय कर देता है, उसी पर सब रजामंद रहते हैं. उन्होंने कहा कि कई बार बिना चेहरा प्रोजेक्ट किए भी चुनाव लड़ जाते हैं और जनता भाजपा को वोट देती भी है. उनका यह भी कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं से चलती है, नेताओं से नहीं और मौजूदा पंचायत चुनाव के परिणाम इस बात के सबूत है. चुनाव में बड़े नेताओं के दौरे देख ले और चुनाव परिणाम देख लें.
बजट घोषणा अधूरी, जन घोषणा पर भी नहीं हुआ काम...