जयपुर.देश में नया उपभोक्ता कानून अधिसूचित होने के बावजूद भी उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में देश के उपभोक्ता संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ कंजूमर्स कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने इस पर चिंता जताते हुए कानून के नए प्रावधानों को जल्द लागू करने की जरूरत बताई.
नियमों में देरी से नहीं लागू हो पा रहा नया उपभोक्ता कानून... राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर सीसीआई की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नियम बनाने में हो रही देरी के चलते अभी भी पुराना कानून ही प्रभावी है. गौरतलब है कि संसद में उपभोक्ता कानून 1986 को निरस्त कर नए उपभोक्ता कानून 2019 को पारित किया था. इसे राष्ट्रपति की अनुशंसा के बाद 9 अगस्त को अधिसूचित किया जा चुका है.
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सीसीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनंत शर्मा ने जानकारी दी कि देश भर में विभिन्न जिला उपभोक्ता मंचों, राज्य आयोगों और राष्ट्रीय आयोग में अब तक लगभग 54 लाख मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से 49 लाख मामलों का निपटारा हो चुका है. उन्होंने बताया कि उपभोक्ता आयोग और मंचों में शिकायतों के हिसाब से टॉप 10 राज्यों में उत्तर प्रदेश पहले, महाराष्ट्र दूसरे और राजस्थान तीसरे स्थान पर है. इसी तरह हरियाणा चौथे, मध्य प्रदेश पांचवे, दिल्ली छठे, गुजरात सातवें, कर्नाटक आठवें, केरल नवे और पंजाब दसवे स्थान पर है.
उत्तर प्रदेश में अभी तक 8 लाख 14 हजार 468, महाराष्ट्र में 5 लाख 2 हजार 186, राजस्थान में 4 लाख 65 हजार 910, हरियाणा में 3 लाख 29 हजार 655, मध्य प्रदेश में 3 लाख 9 हजार 28, दिल्ली में 3 लाख 6 हजार 240, गुजरात में तीन लाख 5 हजार 779, कर्नाटक में 2 लाख 75 हजार 462, केरल में 2 लाख 51 हजार 340, पंजाब में 2 लाख 51 हजार 395 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं.
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उल्लेखनीय है कि साल 1986 में 24 दिसंबर को ही भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने उपभोक्ता कानून पर हस्ताक्षर किए थे. इसलिए भारत में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है. इसी कानून के तहत देशभर में उपभोक्ता आयोग और मंच का गठन किया गया था. सीसीआई के अनुसार राष्ट्रीय आयोग में 1 लाख 32 हजार 596 मामले, राज्य आयोगों में 9 लाख 43 हजार 620 मामले और जिला मंचों में 43 लाख एक हजार 258 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से राष्ट्रीय आयोगों ने 1 लाख 11 हजार 597 मामलों का, राज्य आयोगों ने 8 लाख 18 हजार 719 और जिला मंचों ने 39 लाख 59 हजार 149 मामलों का निस्तारण कर दिया है.
नए कानून में है अहम बदलाव...
नए उपभोक्ता कानून में अहम बदलाव किए गए हैं. जिला मंचों का नाम बदलकर जिला आयोग किया गया है और इनकी अधिकारिता 20 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ कर दी गई है. इसी प्रकार राज्य आयोग के अधिकारिता को बढ़ाकर 10 करोड़ की गई है. नए कानून में भ्रामक विज्ञापनों पर प्रभावी कार्रवाई, विज्ञापनकर्ता सेलेब्रिटीज पर जुर्माना, उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का गठन, ई-कॉमर्स पर नियंत्रण, उत्पाद दायित्व और मध्यस्थता जैसे प्रावधान जोड़े गए हैं. साथ ही उपभोक्ता को अपने जिले में शिकायत का भी प्रावधान शामिल किया गया है. नया कानून जल्द लागू किया जाना चाहिए. ताकि उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिल सके और शोषण करने वालों पर लगाम लगाई जा सके.
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कई पद पड़े हैं खाली...
राजस्थान राज्य उपभोक्ता संरक्षण बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजी अग्रवाल ने बताया कि कई जिला मंचों में उपभोक्ता अध्यक्षों के पद खाली पड़े हैं. इसी तरह से राज्य उपभोक्ता आयोग में भी 4 न्यायिक सदस्यों के पद खाली हैं. इन खाली पदों का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है, जिन मामलों का जल्द निपटारा होना चाहिए. उसमें काफी देरी हो रही है.