जयपुर. राजस्थान में सत्ता और राजनीति में दिव्यांगों की ताकत दिखाई देगी. नगरीय निकायों (Urban bodies) में दिव्यांग जन की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है. दिव्यांग व्यक्ति प्रदेश के निकायों में पार्षद (nominated councilor) के रूप में मनोनीत किए गये हैं.
इस योजना से दिव्यांग जन का मनोबल बढ़ रहा है. साथ ही अब वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने जैसों की आवाज बुलंद कर पाएंगे. बीते दिनों स्वायत्त शासन विभाग (Self-governance unit ) ने विशेष योग्यजन न्यायालय (special court ) को पत्र लिखकर ये जानकारी दी थी कि दिव्यांगों को सत्ता और राजनीति में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से स्थानीय निकाय संस्थानों (local bodies) में मनोनीत करने के संबंध में आए प्रस्ताव का परीक्षण करवाया गया था.
राजनीति में दिव्यांग जन के हाथ हुए मजबूत इसके बाद दिव्यांग जन के निकायों में मनोनयन संबंधी प्रावधान करने का निर्णय लिया गया. इस फैसले के बाद राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है जहां दिव्यांग भी मनोनीत पार्षद (nominated councilor ) बन रहे हैं.
दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वर्तमान निर्वाचन प्रणाली के तहत राजनीति में दिव्यांगजनों की संख्या नगण्य है. दिव्यांग अधिकार महासंघ ने 10 साल पहले मुहिम शुरू की थी. विशेष योग्यजन न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था. पिछली बीजेपी सरकार (BJP government ) में भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री (Ministry of Social Justice and Empowerment) के समक्ष ये प्रस्ताव रखा था.
निकायों में दिव्यांगजन को मिला अधिकार लेकिन इस पर रुचि नहीं दिखाई गई. हालांकि अब कांग्रेस सरकार ने प्रत्येक नगरीय निकाय में एक दिव्यांग को मनोनीत किया है. इससे निश्चित रूप से निकायों की योजनाओं का बजट दिव्यांगों के हक में भी जाएगा और सत्ता में भागीदारी भी.
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ये मिलेगा सीधा फायदा
इस योजना से दिव्यांग जन की नगरीय निकायों में नीति निर्धारण में भूमिका बढ़ेगी. शहर के विकास में भी दिव्यांग जन की सहूलियत का ध्यान रखा जाएगा. सरकारी कार्यालयों में रैंप बनाने के कार्यों को प्राथमिकता मिलेगी और पेंशन, पालनहार जैसी योजनाओं का वे वंचित दिव्यांगो को फायदा दिला सकेंगे.
अब तक करीब 140 निकायों में से 135 में एक दिव्यांग पार्षद मनोनीत किये जा चुके हैं. जिन निकायों में योग्य दिव्यांग नहीं मिले, वहां पद रिक्त रखा गया है. वहीं अब दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल (Hemant Bhai Goyal) ने पंचायती राज विभाग को ग्रामीण निकायों में भी दिव्यांगों को मनोनीत सदस्य बनाने के लिए नीतिगत निर्णय लेने पर विचार करने के संबंध में पत्र लिखा है.
सत्ता में भागीदारी निभा रहे दिव्यांग जन इस पत्र में दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act 2016 ) के प्रावधानों और राष्ट्र महासभा द्वारा पारित प्रस्तावों का हवाला देते हुए दिव्यांग जन को भी अन्य व्यक्तियों के समान अवसर प्रदान करने की मांग की है. प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक दिव्यांग व्यक्ति को पंच के रूप में मनोनीत करने के लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करने के लिए भी अनुरोध किया है.
बहरहाल, नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के बाद अब दिव्यांग जनों को ग्रामीण निकायों में सदस्य (पंच) के रूप में मनोनीत करने को लेकर के भी उम्मीद जताई जा रही है. देखना होगा कि कांग्रेस सरकार में नगरीय निकायों के बाद ग्रामीण निकायों में भी क्या ये बड़ा बदलाव लाया जाएगा.