जयपुर. पूरा देश आज हिंदी दिवस मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक सभी ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं. जगह-जगह राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कार्यक्रम हो रहे हैं. हिंदी दिवस की इसी उत्सुकता के चलते ईटीवी भारत राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी पहुंचा. लेकिन यहां आयोजन तो दूर, निदेशक भी मौजूद नहीं मिले. इस अकादमी के लिए हिंदी दिवस महज प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबों के बेचान तक सीमित दिखा. आलम ये था कि 2013 के बाद तो कोई नई किताब का पब्लिकेशन तक नहीं हुआ.
राजस्थान सरकार ने 1969 में हिन्दी माध्यम से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए विभिन्न विषयों की पाठ्य और संदर्भ पुस्तकों का पब्लिकेशन और मार्केटिंग करने के लिए राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी की शुरुआत की थी. ये अकादमी नो प्रॉफिट नो लॉस के सिद्धान्त पर पुस्तकें प्रकाशित करती है. ताकि कम कीमत की इन पुस्तकों को ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी खरीद सकें.
पुस्तकें विषय विशेषज्ञों के द्वारा लिखी जाती हैं ताकि गुणवत्ता कायम रहे. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की 2013 के बाद यहां नया पब्लिकेशन ही नहीं हुआ है. पुराने पाठ्यक्रम को ही परोसा जा रहा है. इसे लेकर भाषा संपादक मोहन लाल शर्मा ने बताया कि पुस्तकें तो आ रही हैं लेकिन जब समीक्षक के पास इन पुस्तकों को भेजा जाता है तो वह छापने योग्य नहीं पाई जाती. यह बात तय है कि जो पुस्तकें प्रकाशन योग्य होती हैं उन्हीं को ही प्रकाशित करने का प्रयास किया जाता है. लेकिन इस बार यह प्रयास रहेगा कि हिंदी के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों का चयन किया जाए.