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Rajasthan Highcourt Order : पक्षियों के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए सरकार ले निर्णय - जयपुर न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत मामले (death of migratory birds in Sambhar lake) में राज्य सरकार को प्रयोगशाला स्थापित करने का निर्णय लेने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी.

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राजस्थान हाईकोर्ट में पक्षियों की मौत पर सुनवाई

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Published : Dec 11, 2021, 7:20 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत के मामले में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पक्षियों के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला स्थापित करने के संबंध में राज्य सरकार (Rajasthan Government) अपने स्तर पर निर्णय करे. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश विशेषज्ञों की रिपोर्ट का परीक्षण करने और इस संबंध में दिशा-निर्देश देने के लिए मामले की सुनवाई 12 जनवरी को तय की है.

सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर दिए. वहीं अदालत ने समान मामले में दायर गोपाल सिंह की जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जोधपुर के कापरड़ा गांव में पक्षियों की मौत (death of birds in Jodhpur) की जानकारी मिलने के तुरंत बाद सैंपल लेने के लिए टीम का गठन किया गया. जिसके बाद दो मृत पक्षियों के सैंपल भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल सेंटर पर भेजे गए, जहां से पता चला कि इनकी मौत का कारण एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza) है.

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वहीं पिछले 12 नवंबर को केंद्र सरकार ने संक्रमण रोकने के लिए तत्काल गाइडलाइन जारी की और सभी कलेक्टर, चिकित्सा और वन विभाग सहित संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं. कन्ट्रोल रूम स्थापित किया गया है. राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि वेटनरी अधिकारियों को सतर्क करते हुए संक्रमण रोकने के लिए उचित कदम उठाने को कहा गया है. इसके साथ ही मॉनिटरिंग के लिए 17 रैपिड रिस्पांस टीम गठित की गई हैं.

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वहीं कापरड़ा गांव के एक किमी में छिड़काव कर लोगों के प्रवेश पर रोक लगाकर गार्ड तैनात किए गए हैं. गौरतलब है कि सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की बड़ी संख्या में मौत के बाद हाईकोर्ट ने साल 2019 में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था. वहीं गोपाल सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि राज्य सरकार ने मामले में कंट्रोल रूम स्थापित किया था लेकिन उसे बंद कर दिया गया है. इसके अलावा प्रदेश में प्रयोगशाला नहीं होने के कारण सभी तरह की जांच के लिए पक्षियों के नमूनों को भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजना पड़ता है. जिसके कारण रिपोर्ट आने में देर हो जाती है.

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