जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने देश के अधिवक्ताओं की नियामक संस्था बार कौंसिल ऑफ इंडिया के गत 3 अक्टूबर के उस आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी (Court stays BCI order in BCR election) है, जिसके तहत बीसीआई ने राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के 18 नवंबर को प्रस्तावित चुनाव पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही अदालत ने मामले में बार कौंसिल ऑफ इंडिया, बार कौंसिल ऑफ राजस्थान और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सहित बीसीआई में याचिका पेश करने वाले सुमेर सिंह ओला को नोटिस जारी कर पांच सप्ताह में जवाब तलब किया है.
जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव और अध्यक्ष पद के प्रत्याशी प्रहलाद शर्मा व रोहन जैन सहित अन्य की याचिका पर दिए. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित चुनाव में सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय गाइडलाइन की कठोरता से पालना की जाए. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने गत 9 सितंबर को आदेश जारी कर एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव 18 अक्टूबर को तय किए थे. वहीं प्रकरण में अभी तक न तो मतदाता सूची का प्रकाशन हुआ है और ना ही मतदान कार्यक्रम तय किया है.
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इसके बावजूद बार कौंसिल ऑफ राजस्थान ने केवल इस शंका के आधार पर इस चुनाव पर रोक लगा दी कि इसमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय वन बार वन वोट के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाएगा. जबकि अभी तक सिर्फ चुनाव की तिथि ही तय हुई है. याचिका में यह भी कहा गया कि बीसीआई को बार एसोसिएशन के चुनावों पर रोक लगाने का क्षेत्राधिकार नहीं है और पूर्व में भी हाईकोर्ट ने बीसीआर के चुनाव पर रोक के बीसीआई के फैसले को रद्द किया था. बार कौंसिल ऑफ राजस्थान ने अपने स्तर पर पहले ही वन बार वन वोट को लेकर दिशा-निर्देश दे रखे हैं और मामले में हाईकोर्ट बार की ओर से गठित कमेटी भी इस संबंध में अपने सुझाव पेश कर चुकी है. ऐसे में बीसीआई के चुनाव पर रोक के आदेश को रद्द कर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर को निर्देश दिए जाएं कि प्रस्तावित तिथि पर ही चुनाव कराए जाएं.
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गौरतलब है कि सुमेर सिंह ओला की ओर से वन बार वन वोट की प्रभावी पालना के लिए बार कौंसिल ऑफ इंडिया में याचिका पेश की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए बीसीआई ने बार कौंसिल ऑफ राजस्थान और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर को नोटिस जारी करते हुए 9 जनवरी तक जवाब तलब करते हुए हाईकोर्ट बार के 18 नवंबर को प्रस्तावित चुनावों सहित प्रदेश की किसी भी बार एसोसिएशन में चुनाव कराने पर रोक लगा दी थी.