जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिश्वत मामले में थानेदार को एसीबी कोर्ट, अलवर से मिली 4 साल की सजा को रद्द करते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया (High court set free policeman in bribe case) है. जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह आदेश अशोक यादव की अपील को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष अपनी कहानी को किसी भी तरह प्रमाणिक नहीं कर पाया. इसके अलावा ट्रायल कोर्ट ने तथ्यों और साक्ष्य का सही रूप से विश्लेषण किए बिना न्यायिक दृष्टांतों में बताई व्यवस्था के विपरीत जाकर अनुमान के आधार पर सजा दी है. ऐसे में इसे निरस्त कर आरोपी को दोषमुक्त करना विधि सम्मत (bribe accused not found guilty) है.
अपील में अधिवक्ता अरविन्द कुमार गुप्ता व अन्य ने अदालत को बताया कि एसीबी कोर्ट, अलवर ने 22 जनवरी, 2018 को अपीलार्थी को रिश्वत लेने के मामले में 4 साल की सजा सुनाई थी. जबकि प्रकरण में एसीबी में शिकायत देने वाले धर्मवीर ने अपने बयान में अपीलार्थी पर रिश्वत का आरोप नहीं लगाया है. रिपोर्ट में रिश्वत की बात एसीबी के दबाव में लिखना स्वीकार किया है. इसके साथ ही उसने थाने में अपीलार्थी के कमरे में रखी दराज में मौका देखकर पाउडर लगे रुपए रख दिए थे. वहीं एसीबी के निरीक्षक बृजपाल से अपीलार्थी का पुराना मतभेद था. इसके चलते उससे बदला लेने के लिए यह कार्रवाई की गई थी.