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हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त अधिकारी को नियम विपरीत नियुक्ति देने पर UDH मंत्री से मांगा जवाब

नियमों के विपरीत जाकर सेवानिवृत्त अधिकारी को विधि सलाहकार के पद पर नियुक्ति देकर और बाद में विधि निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को नोटिस जारी किया है. साथ ही अदालत ने प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, स्वायत्त शासन निदेशक, नगर निगम आयुक्त और महावीर प्रसाद स्वामी से भी जवाब मांगा है.

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हाईकोर्ट ने UDH मंत्री से मांगा जवाब

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Published : Jul 1, 2020, 5:02 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने नियमों के विपरीत जाकर सेवानिवृत्त अधिकारी को विधि सलाहकार के पद पर नियुक्ति देकर और बाद में विधि निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार देने पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, स्वायत्त शासन निदेशक, नगर निगम आयुक्त और महावीर प्रसाद स्वामी से भी जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश गणेश चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि महावीर प्रसाद स्वामी जुलाई 2013 में स्वायत्त शासन से जेएलआर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. स्वामी की ओर से 5 अगस्त 2019 को स्वायत्त शासन विभाग में 1 साल के लिए विधि सलाहकार पद पर नियुक्ति के लिए किए आवेदन पर यूडीएच मंत्री ने उसी दिन सहमति दे दी थी. वहीं अगले दिन स्वामी को विधि सलाहकार के पद पर 50 हजार रुपये मासिक में नियुक्ति दी गई.

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याचिका में कहा गया कि इसके 1 माह बाद ही 2 सितंबर को यूडीएच मंत्री ने स्वामी को नगर निगम में विधि निदेशक के पद का अतिरिक्त कार्यभार भी दे दिया. जबकि नियमानुसार सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी को 65 साल की उम्र तक ही पुनः नियोजित किया जा सकता है. स्वामी के 66 वर्ष का होने के चलते उन्हें न तो पुनः नियोजित किया जा सकता था और ना ही किसी पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया जा सकता है. वहीं इसके अलावा स्वामी की नियुक्ति में सिविल सेवा पेंशन नियमों की पालना भी नहीं की गई.

साथ ही याचिका में कहा गया कि विधि निदेशक का निगम में स्वीकृत पद है. ऐसे में किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को नियुक्ति देकर विधि निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार नहीं सौंपा जा सकता. इसके अलावा स्वामी ने सेवानिवृत्ति के बाद शहर के कई बिल्डर्स के लिए भी काम किया है. ऐसे में उनकी नियुक्ति आदेशों को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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