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Rajasthan High Court: बाल श्रम के बाद सिर्फ मामला दर्ज करना पर्याप्त नहीं, एक्शन प्लान बनाकर इसे रोकने की जरूरत - राजस्थान लेटेस्ट न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश में बढ़ते बाल श्रम (Rajasthan High Court expressed concern over child labor ) और शोषण पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए केवल मामला दर्ज करना ही पर्याप्त नहीं है.

only registering a case after child labor is not enough,  High court said need for concrete action plan
राजस्थान हाईकोर्ट.

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Published : May 18, 2022, 4:38 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बढ़ते बाल श्रम और शोषण को लेकर चिंता जाहिर की है. अदालत ने कहा है कि ऐसी गतिविधियों (only registering a case after child labor is not enough ) के होने के बाद सिर्फ मामला दर्ज कर कार्रवाई करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन्हें घटित होने से रोकने के (High court said need for concrete action plan) लिए ठोस एक्शन प्लान की जरूरत है. साथ ही अदालत ने मामले में गठित हाई लेवल कमेटी को ठोस एक्शन प्लान पेश करने के लिए 27 मई का समय दिया है.

वहीं अदालत ने मामले में बाल श्रमिकों के पुनर्वास सहित अन्य बिंदुओं पर पेश शपथ पत्र पर महाधिवक्ता को जवाब पेश करने को कहा है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश गोपाल सिंह बारेठ की जनहित याचिका पर दिए. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अब तक दोनों पक्षों की ओर से कई शपथ पत्र पेश किए गए हैं. जिनसे जानकारी मिली है कि बडी संख्या में बाल मजदूरी के मामले मिल रहे हैं. इनमें न सिर्फ बच्चों का शोषण हुआ, बल्कि कानून के उल्लंघन के साथ ही किशोर न्याय व्यवस्था को लागू करना भी चुनौतीपूर्ण रहा है.

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वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि कई प्रकरणों में बच्चों को बाल मजदूर बनाकर रखा गया और पुलिस ने कार्रवाई कर उन्हें रेस्क्यू किया है. इसके अलावा बड़ी संख्या में बाल तस्करी में लिप्त लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हुए हैं. बाल मजदूरी व उनका शोषण करने वाले उद्योग संचालकों पर भी कार्रवाई की गई है. इसके अलावा कोर्ट के 17 जून 2020 के आदेश पर हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है. जिसमें श्रम सचिव को चेयरमैन और आयुक्त को सचिव नियुक्त किया गया है.

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सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि प्रदेश के कई इलाकों में बाल श्रम के अधिक मामले आ रहे हैं और दूसरे राज्यों से भी बाल तस्करी हुई है. जहां खास तौर पर गरीबी है. सुनवाई के दौरान एक पक्ष की ओर से कहा गया कि उन्होंने 17 दिसंबर 2020 और 26 जुलाई 2021 को रेस्क्यू के बाद बाल श्रमिकों के पुनर्वास को लेकर शपथ पत्र पेश किए थे. लेकिन वे रिकॉर्ड पर नहीं हैं. इस पर अदालत ने रजिस्ट्री को कहा है कि वह दोनों शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर लें और संबंधित पक्ष महाधिवक्ता को भी शपथ पत्र की प्रति मुहैया कराएं. ताकि महाधिवक्ता उन पर जवाब पेश कर सकें. साथ ही अदालत ने हाई लेवल कमेटी को ठोस एक्शन प्लान और इस संबंध में की गई कार्रवाई की जानकारी देने को कहा है.

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