जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होने को गंभीरता से लेते हुए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि आरोपी का पहले कोरोना टेस्ट कराया जाए और उसके नेगेटिव आने पर ही पुलिस रिमांड या न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जाए. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश रविवार को सीजे निवास पर लगी विशेष खंडपीठ में सुनवाई करते हुए दिए हैं. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े, जबकि एसीएस होम राजीव स्वरूप और डीजी जेल एनआरके रेड्डी व्यक्तिगत रूप से पेश हुए.
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अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना जांच के बाद भी आरोपी को 21 दिन जेल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाए. वहीं बाद में सामान्य वार्ड में भेजने से पहले मेडिकल जांच कर सुनिश्चित किया जाए कि उसमें कोरोना के लक्षण नहीं है. इसके अलावा अस्थमा के रोगी कैदियों की आरटी-पीसीआर जांच करवाई जाए.
अदालत ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में कैदियों के संपर्क में आने वाले जेल कर्मियों और उनके परिजनों का नियमित रूप से रैंडमली टेस्ट कराया जाए.
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