जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने अजमेर सरस डेयरी के चेयरमैन रामचंद्र चौधरी के खिलाफ दायर दुष्कर्म के मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने से इंकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि एफआईआर में याचिकाकर्ता पर दुष्कर्म का आरोप है.
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याचिकाकर्ता ने पीड़िता पर जो आरोप लगाए हैं, उनका परीक्षण ट्रायल कोर्ट मुकदमे की सुनवाई के दौरान करेगी. पुलिस ने भी अपने अनुसंधान में छेड़छाड़ का आरोप साबित माना है. ऐसे में एफआईआर को निरस्त नहीं किया जा सकता. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश रामचंद्र चौधरी की याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया की याचिकाकर्ता पिछले 25 साल से डेयरी चेयरमैन है. पीड़िता अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति में संविदाकर्मी थी. उसने वेतन बढ़ाने और स्थाई नौकरी पाने के लिए 4 अक्टूबर 2019 को भीलवाड़ा के गुलाबपुरा थाने में रिपोर्ट दी. जिसमें बलात्कार का आरोप नहीं लगाया गया. वहीं, उसी घटना को लेकर 23 अक्टूबर 2019 को अजमेर के रामगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए दुष्कर्म का आरोप लगा दिया.
इसके अलावा पीड़ित ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में एक अन्य कर्मचारी की ओर से ऐसे ही आरोप लगाने पर उसे स्थाई करने का कथन किया है. जिससे स्पष्ट है कि उसने षड्यंत्र के तहत स्थाई होने की नियत से यह कहानी तैयार की है. यदि वास्तव में घटना होती तो वह तुरंत अपने घरवालों को इसकी जानकारी देती और एफआईआर दर्ज कराने में देरी नहीं करती. इसके अलावा पुलिस ने भी मामले में दुष्कर्म साबित नहीं माना है.
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ज्यादा से ज्यादा याचिकाकर्ता की ओर से युवती के सिर और कंधे पर हाथ रखने की बात ही सामने आई है. दूसरी ओर पीड़िता और सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि गुलाबपुरा थाने में रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन वहां एफआईआर दर्ज नहीं हुई. रामगंज थाने में दर्ज एफआईआर में गुलाबपुरा थाने में दिए परिवाद की जांच को शामिल किया गया है. पीड़िता ने बदनामी के डर से पहले रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.