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समलेटी बम कांड के अभियुक्त को स्थाई और मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त को मिली विशेष पैरोल - राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड

दौसा के समलेटी बम कांड मामला और राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड में अपनी अपनी सजा भुगत रहे अभियुक्तों ने राजस्थान हाईकोर्ट में पैरोल पर रिहा करने की याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने समलेटी बम कांड मामले के अभियुक्त को स्थाई पैरोल और राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड में अभियुक्त को 4 सप्ताह के विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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बम कांड के अभियुक्त को स्थाई और मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त को विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश

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Published : Sep 29, 2020, 8:41 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने समलेटी बम कांड मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अभियुक्त पप्पू उर्फ सलीम को स्थाई पैरोल के साथ ही राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे अभियुक्त दया सिंह लाहोरिया को 4 सप्ताह के विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने ये आदेश दोनों अभियुक्तों की ओर से दायर पैरोल याचिकाओं पर अलग-अलग सुनवाई करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता पप्पू उर्फ सलीम की ओर से कहा गया कि वो 23 साल से जेल में बंद हैं. उसे अब तक दो बार नियमित पैरोल मिल चुकी है. जिसके बाद उसने तय समय पर जेल में समर्पण किया था. वहीं, उसका जेल में आचरण भी संतोषजनक रहा है. इसके अलावा 14 साल की सजा पूरी होने के बाद कैदी को स्थाई पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता को स्थाई पैरोल का लाभ दिया जाए.

वहीं, दया सिंह लाहोरिया की ओर से कहा गया कि प्रकरण में सह अभियुक्त हरनेक सिंह को 28 दिन का विशेष पैरोल दिया गया है. याचिकाकर्ता जेल में 22 साल से अधिक समय बिता चुका है. ऐसे में उसे भी विशेष पैरोल पर रिहा किया जाए. गौरतलब है कि 22 मई 1996 को दौसा के समलेटी गांव के पास रोडवेज बस में हुए बम विस्फोट में 14 लोगों की मौत हो गई थी. मामले में बांदीकुई कोर्ट ने 29 सितंबर, 2014 को याचिकाकर्ता को आजीवन कारावास सुनाया था.

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वहीं 17 फरवरी, 1995 को राजेंद्र मिर्धा के अपहरण के मामले में दया सिंह लाहोरिया को साल 1997 में अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाया गया था. अदालत ने लाहोरिया को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को 5 साल की सजा सुनाई थी. जबकि अभियुक्त हरनेक सिंह को बाद में आजीवन कारावास दिया गया था.

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