जोधपुर. यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) में पेश अपील पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश बिरेन्द्र कुमार खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से दिल्ली से वीसी के जरिए अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए बताया कि उनकी ओर से सीआरपीसी की धारा 391 का एक प्रार्थना पत्र लंबित है, उस पर सुनवाई की जाए.
न्यायालय ने अधिवक्ता को निर्देश दिए हैं कि उस प्रार्थना पत्र की एक कॉपी पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी को दी जाए. उसके बाद 13 जनवरी 2022 को सुनवाई मुकरर्र कर दी. आसाराम की ओर से अधिवक्ता ने जो प्रार्थना पत्र पेश किया है उसमे तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा से सम्बंधित है. उन्होंने अपनी एक पुस्तक आसाराम को लेकर लिखी है, जिसमें एक पेज पर कुछ लिखा है उसकी आधार बनाकर आसाराम के अधिवक्ता तत्कालीन डीसीपी लाम्बा जो कि इस केस में अधिकारी थे उसकी साक्ष्य करवाना चाहते हैं.
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उन्होंने तत्कालीन डीसीपी लाम्बा को न्यायालय में बुलाने और साक्ष्य दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है. तत्कालीन डीसीपी लांबा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए वीडियोग्राफी करवाई थी. अब आसाराम के अधिवक्ता उसी को आधार बनाकर दुबारा साक्ष्य करवाना चाहते हैं.
गौरतलब है कि आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आरोप लगाया कि 15 अगस्त 2013 को आसाराम ने जोधपुर के पास मणाई गांव में स्थित एक फार्म हाउस में उसका यौन उत्पीड़न किया. 20 अगस्त 2013 को उसने दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया. जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के लिए उसे जोधपुर भेजा.
जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का मामला दर्ज किया. जोधपुर पुलिस 31 अगस्त 2013 को इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार कर जोधपुर ले आई. इसके बाद से आसाराम लगातार जोधपुर जेल में ही बंद है. 25 अप्रैल 2018 में पॉक्सो अदालत ने उसे नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न का दोषी करार देते हुए मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी.