जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court Revised Result) ने सामाजिक विज्ञान और विज्ञान सहित अन्य विषयों के लिए आयोजित द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2016 में संशोधित परिणाम के आदेश पर पूर्व में लगे शिक्षकों को हटाने के 27 सितंबर 2018 के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने इनकी मेरिट सबसे नीचे रखने को कहा है.
जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश श्याम सुंदर शर्मा व अन्य की याचिकाओं पर दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभ्यर्थी को चयन के बाद नियुक्ति मिलती है और उस पर किसी तरह की धोखाधडी या अन्य आरोप नहीं है तो उसे सिर्फ संशोधित परिणाम के आधार पर सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. याचिकाओं में अधिवक्ता विज्ञान शाह और रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 12 जुलाई 2016 को शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया था.
भर्ती परीक्षा के बाद छह फरवरी 2018 को याचिकाकर्ता सहित अन्य चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी गई. वहीं बाद में भर्ती परीक्षा का परिणाम संशोधित किया गया और 27 सितंबर 2018 को आदेश जारी कर नियुक्तियां पा चुके करीब 90 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया. सेवा से हटाने के पीछे सरकार और आयोग की दलील थी कि वे संशोधित मेरिट लिस्ट में नहीं आ रहे हैं.
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इसे याचिकाओं में चुनौती देते हुए कहा गया कि उन्होंने चयन प्रक्रिया व नियुक्ति के दौरान किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं की और ना ही कोई जानकारी छिपाई थी. आयोग ने ही परिणाम जारी कर उन्हें नियुक्तियां दी थी. ऐसे में केवल संशोधित परिणाम जारी करने के आधार पर उन्हें सेवा से बाहर नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को सेवा से बाहर करने के आदेश को रद्द कर दिया है.