राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

Rajasthan High Court: कैट में मामला लंबित रहते हाइकोर्ट में याचिका दायर करने पर आईपीएस पर 50 हजार का हर्जाना

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने तबादले से जुड़े मामले केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Rajasthan HC imposed Fine on IPS officer) में लंबित रहने के बावजूद हाइकोर्ट में याचिका दायर करने को लेकर याचिकाकर्चा आईपीएस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही याचिका को भी खारिज किया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश

By

Published : Jul 28, 2022, 5:05 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तबादले से जुड़े मामले केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में लंबित (Rajasthan HC imposed Fine on IPS officer) रहने के बावजूद हाइकोर्ट में याचिका दायर करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता आईपीएस पंकज चौधरी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पंकज चौधरी की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि लोगों को इस तरह की याचिकाएं लगाने की आदत सी हो गई है, जिसे हतोत्साहित करने की आवश्यकता है. ऐसी याचिकाएं कोर्ट का कीमती समय भी खराब करती हैं. अधिकरण की ओर से याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम आदेश होने के बावजूद भी हाइकोर्ट में याचिका पेश की गई थी. जबकि उसे अधिकरण में ही मामला उठाना चाहिए था. यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसलिए याचिकाकर्ता को हर्जाने के तौर पर 50 हजार रुपये एक माह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने होंगे.

पढ़ें. Rajasthan High Court: आईएएस श्रीवास्तव के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को कोर्ट ने माना सही

याचिका में कहा गया था कि कार्मिक विभाग ने पिछले 30 जून को याचिकाकर्ता का तबादला एसडीआरएफ अधीक्षक पद से कम्युनिटी पुलिसिंग अधीक्षक पद पर कर दिया. वहीं केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने 6 जुलाई को अंतरिम आदेश देते हुए रिलीव नहीं होने की सूरत में याचिकाकर्ता को पुराने पद पर कार्य करते रहने को कहा था. याचिका में कहा गया कि अधिकरण से आदेश होने के बाद भी राज्य सरकार ने 12 जुलाई को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को नए पद पर कार्यभार संभालने को कहा. जबकि अब तक याचिकाकर्ता को पुराने पद से रिलीव नहीं किया गया था. अधिकरण की रोक के बाद जारी 12 जुलाई का आदेश रिलीविंग आदेश के समान ही है. ऐसे में याचिकाकर्ता को पुराने पद पर ही बना रहने दिया जाए. जिसे खारिज करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details