जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने निजी स्कूलों की प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई के तहत वंचित वर्ग को प्रवेश देने के मामले में एक निजी स्कूल को दखलकर्ता बनाते हुए मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद रखी है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश स्माइल फॉर ऑल सोसायटी और अन्य की जनहित याचिका पर दिए.
कैम्ब्रिज कोर्ट स्कूल की ओर से अधिवक्ता अनुरूप सिंघी ने पीआईएल में पक्षकार बनने का प्रार्थना पत्र पेश करते हुए कहा कि आरटीई कानून के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही आरटीई के तहत लाभ दिया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर वह याचिकाकर्ता के साथ है. ऐसे में उसे भी मामले में पक्षकार बनाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्कूल को दखलकर्ता बना लिया है.
पढ़ें- Rajasthan High Court : सलमान खान की ट्रांसफर पिटीशन में 4 सप्ताह का दिया समय, निचली अदालत में विचाराधीन अपीलों पर स्थगन आदेश जारी
जनहित याचिका में राज्य सरकार की उस पॉलिसी को चुनौती दी गई है, जिसके तहत शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई कानून के तहत बच्चों को प्रवेश देने का अधिकारी नहीं माना गया था. याचिका में कहा गया कि सरकार की यह नीति कानून की मूल भावना के खिलाफ है. याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने गत अक्टूबर महीने में अंतरिम आदेश देते हुए प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई के तहत प्रवेश देने के निर्देश दिए थे.
परीक्षा में की-बोर्ड था खराब, हाईकोर्ट ने वापस हो रही परीक्षा में शामिल करने के निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने स्टेनोग्राफर भर्ती-2018 (Stenographer Recruitment 2018) की फेज-2 की परीक्षा में की-बोर्ड खराब होने के मामले में याचिकाकर्ता को फेज-2 की वापस हो रही परीक्षा में अभ्यर्थी को शामिल करने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब मांगा है. जस्टिस एमके गोयल ने यह आदेश माधव खंडेलवाल की याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने गत तीस अक्टूबर को स्टेनोग्राफर भर्ती के फेज-2 की परीक्षा दी थी, लेकिन उसके कंप्यूटर का की-बोर्ड खराब होने के चलते उसके दस मिनट खराब हो गए. उसने परीक्षा के दौरान प्रशासन को इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई. याचिका में कहा गया कि कुछ अभ्यर्थियों की फेज-2 की परीक्षा वापस ली जा रही है. ऐसे में उसे भी फेज-2 की परीक्षा में शामिल किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब मांगा है.