जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीपीपी मोड पर संचालित अस्पताल में नर्स को प्रसूति अवकाश के बाद अदालती आदेश के बावजूद पुन: कार्यभार ग्रहण नहीं कराने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव वैभव गालरिया, निदेशक मुकुल शर्मा और टोंक सीएमएचओ अशोक यादव सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश मालपुरा के कलमंडा पीएससी में तैनात बर्मा कुमार मीणा की अवमानना याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने प्रसूति अवकाश स्वीकृत करवाकर अवकाश लिया था. वहीं अवकाश पूर्ण होने पर अस्पताल संचालक ने उसे कार्यभार ग्रहण नहीं कराया. इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 14 सितंबर को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को इस संबंध में अभ्यावेदन पेश करने को कहा और संबंधित अधिकारी को उसका चार सप्ताह में निस्तारण करने के आदेश दिए.
पढ़ें- Rajasthan High Court : NTT अभ्यर्थियों को शिक्षक पद पर दे नियुक्ति, पद रिक्त नहीं तो अभ्यर्थी कर सकते हैं मुआवजे का दावा
याचिका में कहा गया कि अफसरों ने न तो अभ्यावेदन का निस्तारण किया और न ही उसे कार्यभार ग्रहण कराया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
अधिक अंक होने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने सहायक वन संरक्षक और रेंज ऑफिसर भर्ती में अधिक अंक होने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर आरपीएससी से जवाब तलब किया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश मुदित मित्तल व अन्य की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि भर्ती प्रक्रिया के तहत सामान्य अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान के अनिवार्य प्रश्न पत्रों के अलावा 20 अन्य प्रश्न पत्रों में से दो वैकल्पिक प्रश्नों को चुनने की व्यवस्था की गई थी. आयोग की ओर से जारी उत्तर कुंजी से पता चला कि याचिकाकर्ताओं के अपनी श्रेणी की कट ऑफ से काफी अधिक अंक है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें नियुक्ति देने के लिए नहीं बुलाया गया.
वहीं, जानकारी करने पर आरपीएससी से पता चला कि आयोग ने बिना बताए अंकों को स्कैलिंग के नाम पर कम दिए और याचिकाकर्ताओं को चयन से बाहर कर दिया. याचिका में कहा गया कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों को नहीं बदला जा सकता. भर्ती में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गए थे, जिन पर स्कैलिंग लागू नहीं हो सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरपीएससी से 20 फरवरी तक जवाब देने को कहा है.
अदालती आदेश की पालना नहीं करें तो दोषी सीएमएचओ का वेतन जारी नहीं करें
राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद भी चिकित्सा विभाग में कार्यरत मल्टी परपज वर्कर को चयनित वेतनमान का लाभ नहीं देने पर चिकित्सा निदेशक को आदेश दिए हैं कि वे संबंधित सीएमएचओ को आदेश की पालना चार सप्ताह में करने के निर्देश दें. यदि सीएमएचओ आदेश की पालना करने में विफल रहे तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करें और उनका वेतन जारी नहीं करे. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश योगदत्त शर्मा व अन्य की अवमानना याचिकाओं पर दिए.
अदालत ने मामले की सुनवाई 23 फरवरी को तय करते हुए चिकित्सा निदेशक को कहा है कि वे अदालती आदेश की पालना और दोषी सीएमएचओ पर की गई कार्रवाई के संबंध में अपना निजी शपथ पत्र पेश करें. मामले के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर कर कहा कि वे विभाग में एमपीडब्ल्यू पद पर कार्यरत हैं. उन्हें चयनित वेतनमान का लाभ नहीं देने पर हाईकोर्ट में याचिकाएं पेश की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 6 अप्रैल 2019 को आदेश जारी कर उन्हें लाभ देने के लिए कहा था.
हाईकोर्ट के आदेश के पालन में चिकित्सा निदेशक ने भी 26 नवंबर 2021 को आदेश जारी कर उन्हें सलेक्शन स्केल का लाभ देने का निर्देश सभी सीएमएचओ को जारी कर दिया. इसके बावजूद संबंधित सीएमएचओ आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और उन्हें सलेक्शन स्केल के अनुसार वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है. इसलिए अदालती और राज्य सरकार के आदेश का पालन करवाया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं करने पर दोषी अधिकारी पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.