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पुलिस अधिकारी हवा में उड़ा रहे हैं आदेश, डीजीपी उपस्थिति कराएं सुनिश्चित: राजस्थान हाईकोर्ट - राजस्थान हाईकोर्ट ने जताई नारजगी

राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश की अवहेलना करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है. हाईकोर्ट ने कहा कि बार-बार बुलाने पर भी पुलिस अधिकारी (Rajasthan High Court on Police Officers) कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं. अधिकारियों ने अदालती आदेशों को हवा में उड़ाने की आदत डाल ली है. ऐसे में अब डीजीपी संबंधित पुलिस अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित करवाएं.

Rajasthan High Court expressed displeasure against police officers
हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जताई नाराजगी

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Published : Dec 15, 2021, 4:35 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट के बार-बार बुलाने पर भी पुलिस अधिकारियों (Rajasthan High Court expressed displeasure) के कोर्ट में पेश नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा की अधिकारियों ने अदालती आदेशों को हवा में उड़ाने की आदत डाल ली है. ऐसे में डीजीपी संबंधित पुलिस अधिकारी को अदालती आदेश से अवगत कराएं और उसे संबंधित रिकॉर्ड सहित 16 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दें. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश पवन गोड़ की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा की अदालती आदेश की पालना में जांच अधिकारी नेमीचंद खालिया पेश नहीं हुए हैं. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा की कोर्ट ने जांच अधिकारी को 5 नवंबर 2020 को आदेश जारी कर अदालत में पेश होने को कहा था, लेकिन वे पेश नहीं हुए. इसके बाद जांच अधिकारी को पेश होने के कई मौके दिए गए. बावजूद इसके जांच अधिकारी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए.

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ऐसे में अब सिर्फ डीजीपी को आदेश देने के अलावा कुछ शेष नहीं है. वहीं लोक अभियोजक शेर सिंह महला ने कहा की अदालत की भावना और आदेश से डीजीपी को अवगत कराकर जांच अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी. इस पर अदालत ने आदेश की कॉपी डीजीपी को भेजते हुए जांच अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है.

गौरतलब है कि बजाज नगर थाना पुलिस ने वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई में हस्तक्षेप करने को लेकर आईपीसी की धारा 332 और धारा 353 के तहत मामला दर्ज किया था. जिसे याचिकाकर्ता वकील ने यह कहते हुए चुनौती दी थी की पुलिस ने पहले उसके विरुद्ध शांति भंग का मामला दर्ज किया था, जिसमें जमानत मिलने के बाद दुर्भावना से यह मामला दर्ज किया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर अग्रिम अनुसंधान पर रोक लगा दी थी और अनुसंधान अधिकारी को पेश होने के आदेश दिए थे.

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