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नगर पालिका में लगे संविदाकर्मी को हटाने पर रोक - rajasthan high court news

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटपूतली नगर पालिका में संविदा पर तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर को हटाने पर रोक लगाते हुए स्वायत्त शासन निदेशक और जिला कलक्टर सहित नगर पालिका ईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

राजस्थान हाईकोर्ट, rajasthan covid cases
नगर पालिका में लगे संविदा कर्मी को हटाने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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Published : May 18, 2021, 9:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटपूतली नगर पालिका में संविदा पर तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने स्वायत्त शासन निदेशक और जिला कलक्टर सहित नगर पालिका ईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश नरेश चन्द्र की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता जुलाई 2016 से नगर पालिका में संविदा पर तैनात है. अब तक याचिकाकर्ता का कार्य संतोषजनक रहा है और उसके खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं है. इसके बावजूद नगर पालिका की ओर से उसे हटाकर दूसरे संविदाकर्मी को नियुक्ति किया जा रहा है. जबकि नियमानुसार संबंधित पद पर नियमित भर्ती होने तक संविदाकर्मी की सेवा समाप्त नहीं की जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

राजस्थान हाईकोर्ट ने दी बीएड छात्रा को राहत

राजस्थान हाईकोर्ट ने बीएड कोर्स में प्रवेश लेने वाली छात्रा को राहत देते हुए उसको बीएड कोर्स में शामिल करने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार और संबंधित टीटी कॉलेज सहित अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश सीमा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने गत वर्ष पीटीईटी परीक्षा उत्तीर्ण कर अलवर के निजी बीएड कॉलेज में प्रवेश लिया था. जहां उसने रजिस्ट्रेशन फीस जमा करा दी थी, लेकिन बीमार होने के कॉलेज फीस जमा नहीं हो सकी.

पढ़ें-राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा- नियमित भर्ती के नियम नहीं तो प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारी को क्यों हटाया

याचिका में कहा गया कि कॉलेज की ओर से चार वर्षीय बीए बीएड के अभ्यर्थियों को फीस जमा कराने का अतिरिक्त मौका दिया गया है, लेकिन याचिकाकर्ता को कोर्स से वंचित किया जा रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को कोर्स में शामिल करने के आदेश देते हुए राज्य सरकार और निजी कॉलेज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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