जयपुर.राजस्थान हाई कोर्ट ने कृषि पर्यवेक्षक भर्ती-2018 में अभ्यर्थी की तीसरी संतान के गोद देने के बावजूद उसे नियुक्ति से वंचित करने पर कृषि आयुक्त और कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश बिशनसिंह की याचिका पर दिए हैं.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने कृषि पर्यवेक्षक भर्ती-2018 में आवेदन किया था. याचिकाकर्ता के तीन संतान थी, लेकिन उसने एक संतान को गोद दे दिया है. वहीं भर्ती में अधिक अंक आने के बावजूद दस्तावेज सत्यापन के दौरान उसे यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि उसके तीन संतान है.
याचिका में कहा गया है कि दत्तक अधिनियम के तहत गोद देने के बाद संतान गोद लेने वाले की मानी जाती है. ऐसे में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने से मना करना गलत है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
शराब कारोबारियों की याचिका खारिज
राजस्थान हाई कोर्ट ने पिछले साल के मुकाबले शराब और बीयर की बिक्री दस फीसदी नहीं बढ़ाने पर शराब कारोबारियों पर जुर्माना लगाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश सतवीर चौधरी और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कारोबारी लाइसेंस की शर्ते मानने के लिए बाध्य है. यदि कुछ बंदिशें नहीं लगाई गई तो शराब का अवैध कारोबार बढ़ सकता है. वहीं याचिकाकर्ताओं ने कुछ तथ्य छिपाकर भी याचिकाएं पेश की है.
याचिका में कहा गया था कि आबकारी नीति-2020 में प्रावधान किया गया है कि दुकान संचालक को पिछले साल के मुकाबले दस फीसदी अधिक शराब और बीयर का बेचान करना है. यदि वह विभाग से तय मात्रा में शराब नहीं उठाता है, तो उस पर प्रति लीटर पेनल्टी वसूली जाएगी. याचिका में कहा गया कि शराब का कारोबार व्यापक पाबंदियों के साथ होता है, जिसमें बिक्री का निर्धारित समय, सूखा दिवस और विज्ञापन आदि पर पाबंदी भी होती है. इसके अलावा पेनल्टी का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 47 के भी खिलाफ है. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आबकारी नीति के प्रावधान को याचिका के बजाए उचित प्राधिकारी के समक्ष अपील में ही चुनौती दी जा सकती है.
यह भी पढ़ें-राजस्थान: औषधि नियंत्रण विभाग ने की छापेमारी, एक करोड़ की एक्सपायर दवाएं की जब्त
इसके अलावा याचिकाकर्ता लाइसेंस की शर्तो को मानने के लिए बाध्य हैं. सरकार ओर से कहा गया कि आबकारी नीति के तहत लाइसेंस फीस को दो भागों में बांटा गया है. एक भाग में सामान्य लाइसेंस फीस होती है, जबकि दूसरे भाग में कम शराब उठाने पर स्पेशल फीस वसूलने का प्रावधान है. यह प्रावधान शराब की कालाबाजारी रोकने के लिए किया गया है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है.