जयपुर. आमजन की तकलीफ भी चुनाव की तारीखों की मोहताज हो गई है. अगर चुनाव हैं तो तकलीफें सुनी जाएंगी, जख्म सहलाए जाएंगे, दिलासा और तसल्ली दी जाएगी, कानून तोड़कर पीड़ितों से मिलने की होड़ की जाएगी और आधी आबादी को आगे बढ़ाने के लिए हुंकार की जाएगी. यह सब हो रहा है राजस्थान के नजदीकी राज्य उत्तर प्रदेश में. क्योंकि वहां तीन-चार महीने बाद चुनाव है.
यूपी चुनाव की साध में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी महिलाओं के लिए बड़े एलान कर रही हैं. आधी आबादी को आधा आरक्षण देने की बात की गई है, रोजगार से लेकर शिक्षा, हर क्षेत्र में सुनहरी सपने दिखाए गए हैं, इन्हें पूरा करने के दावे बुलंद आवाज में किये जा रहा हैं, लेकिन लगता है कि राजस्थान की 5 लाख महिलाओं की सिसकियां इस चुनावी शोर में प्रियंका गांधी के कानों तक नहीं पहुंच रही हैं.
राजधानी जयपुर में एकत्रित हो कर महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रही हैं. ये महिलाएं महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से छोटे-छोटे महिला स्वयं सहायता समूह के जरिए रोजगार कर रही थीं. कोरोना काल में इनका रोजगार छिन गया.
राजस्थान में 55 हजार समूहों की 5 लाख से ज्यादा ऐसी महिलाएं गहलोत सरकार के नाराज हैं. गहलोत सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के बड़े बड़े दावे किये थे. लेकिन इन महिलाओं से पोषाहार का काम भी छीन लिया गया. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से छोटे-छोटे महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया था. एक स्वयं सहायता समूह में कम से कम 10 महिलाएं शामिल होती थीं. एक समूह से दस घरों के चूल्हे जलते थे. महिलाएं आत्मनिर्भर होने लगी थीं.
महिला समूहों का 400 करोड़ बकाया
लेकिन कोरोना के दौर में सरकार ने कई योजनाओं को बंद कर दिया. इनमें पोषाहार भी एक थी. अब हालात ये हैं कि महिला समूहों ने जो काम किया था उसका भुगतान तक सरकार नहीं कर सकी है. 55 हजार समूहों का करीब 400 करोड़ रुपया बकाया चल रहा है.
महिलाओं से छीनकर नेफेड को दी व्यवस्था