जयपुर.सरकार ने सफाई दी कि विवाह का पंजीकरण किसी प्रकार से विवाह को वैधता प्रदान नहीं करता और न ही यह न्यायालय में बाल विवाह को शून्य घोषित कराये जाने में बाधक है. यह एक कानूनी दस्तावेज के रूप में उपलब्ध रहता है. इससे बच्चों की देखभाल एवं उनके विधिक अधिकारों को संरक्षण मिलता है.
सरकार को ओर से कहा गया है कि राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वर्ष 2006 के बाद से ही सभी विवाहों के पंजीकरण किये जा रहे हैं. यह संशोधन विधेयक 2021 भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनुपालना में सभी विवाहों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए पारित किया गया है. पूर्व में भी वर्ष 2016 में 4, 2017 में 10 एवं 2018 में 17 बाल विवाह पंजीकृत किये गए हैं.
पूर्व में जिला स्तर पर ही विवाह रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का प्रावधान था, लेकिन संशोधन के बाद अतिरिक्त जिला विवाह रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और ब्लॉक विवाह रजिस्ट्रीकरण अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान जोड़ा गया है. इससे ग्रासरूट लेवल पर विवाह पंजीयन कार्य की प्रभावी मॉनिटरिंग एवं समीक्षा हो सकेगी.
सरकार ने फिर दोहराया है कि सरकार बाल विवाह रोकने के लिए कटिबद्ध है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार बाल विवाह होने के बाद वर अथवा वधू अपने विवाह को शून्य घोषित करवा सकते हैं. यदि वयस्क है तो स्वयं और अवयस्क होने पर संरक्षक या वाद-मित्र के माध्यम से याचिका दायर की जा सकती हैं. नया विधेयक किसी भी दृष्टिकोण से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के कड़े प्रावधानों को कमजोर नहीं करता. बाल विवाह का पंजीकरण होने से अधिनियम में वर-वधू को प्रदत्त विवाह शून्यकरण के अधिकार का हनन नहीं होगा.